बेंगलुरु, 18 सितंबर 2025: कर्नाटक सरकार की जाति आधारित जनगणना को लेकर हाई कोर्ट में तीखी कानूनी जंग शुरू हो गई है। दो जनहित याचिकाएं (पीआईएल) दायर कर इस जनगणना को रद्द करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं, जिनमें मशहूर वकील के.एन. सुब्बाराव रेड्डी शामिल हैं, ने आरोप लगाया है कि यह जनगणना समाज में जातिगत विभाजन और अशांति को बढ़ावा देगी।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने जल्दबाजी में सिर्फ 15 दिनों के नोटिस पर जनगणना की घोषणा की, वो भी दशहरा जैसे त्योहारी सीजन में, जब लोग धार्मिक और कृषि कार्यों में व्यस्त रहते हैं। याचिका में दावा किया गया है कि 1500 से ज्यादा उप-जातियों को अलग दर्जा देने की कोशिश सामाजिक संतुलन बिगाड़ सकती है।
सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि याचिकाकर्ताओं ने जनगणना को राज्य सरकार का असंवैधानिक कदम बताया, क्योंकि उनके मुताबिक यह अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है। उन्होंने कोर्ट से मांग की है कि इस फैसले को तुरंत रद्द किया जाए।
यह मामला अब हाई कोर्ट में गर्माया हुआ है, और आने वाले दिनों में इस पर सुनवाई के दौरान और तीखी बहस की उम्मीद है।







