कहा जा रहा है कि कित्तूर कर्नाटक के मुस्लिम समुदाय की 20 साल पुरानी मांग को पूरा करने के लिए इस बार सलीम अहमद को मंत्री बनाया जाना चाहिए। सामाजिक और राजनीतिक हलकों में यह राय बन रही है कि ईमानदार और पारदर्शी छवि वाले नेताओं की कैबिनेट में जरूरत है।

यूनाइटेड मुस्लिम फोरम कर्नाटक के अध्यक्ष अशफ़ाक़ अहमद मडकी ने कहा कि नेतृत्व का चयन धन और दबंगई से नहीं बल्कि बेदाग चरित्र और जनसेवा की नीयत से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सलीम अहमद कर्नाटक की राजनीति में एक सैद्धांतिक और ईमानदार नेता के रूप में पहचाने जाते हैं।

1982 में छात्र राजनीति से सफर शुरू करने वाले सलीम अहमद एनएसयूआई और इंडियन यूथ कांग्रेस में कई अहम पदों पर रहे। 1996 में पहली बार विधान परिषद के सदस्य बने और फिलहाल दूसरी बार मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इसके अलावा वे नेहरू युवा केंद्र संगठन के निदेशक, दिल्ली में कर्नाटक के विशेष प्रतिनिधि और एआईसीसी सचिव जैसे पदों पर भी कार्य कर चुके हैं।

राजनीति के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय, सलीम अहमद ने हाल ही में हुबली में आयोजित सूफी संतों के सम्मेलन में शांति और भाईचारे का संदेश दिया था।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आगामी कैबिनेट विस्तार में सलीम अहमद को जगह दी जाती है, तो इससे न केवल कित्तूर कर्नाटक बल्कि पूरे प्रदेश के मुस्लिम समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी होगी।