मुझे तो लगता है, इस नारे पर ही नहीं, भाजपा के सारे नारों पर स्टार लगाना चाहिए। होते ही इतने लुभावने हैं भाजपा के नारे कि स्टार लगाये बिना काम ही नहीं चल सकता है।
‘स्टार’ मतलब नहीं समझे? अरे वही स्टार जो किसी भी एडवरटाइजमेन्ट के साथ लगा होता है। ‘टर्म्स एंड कंडीशनस अप्लाई’ वाला स्टार। आज सुबह का समाचार पत्र नहीं देखा क्या? देखो जरा। पहली बात तो यह कि आधे से अधिक समाचार पत्र विज्ञापनों से भरा होगा। और जिस आधे हिस्से में समाचार होंगे, उनमें भी अधिकतर समाचार विज्ञापनों जैसे ही होंगे। सरकार जी के विज्ञापन, सरकार जी की सरकार के विज्ञापन। बस कुछ हत्या और बलात्कार जैसी खबरें ही विज्ञापन रहित लगेंगी और वे भी तब जब उनमें हिन्दू मुस्लिम एंगल नहीं होगा। अगर ऐसा कुछ हुआ तो वे खबरें भी विज्ञापन ही बन जाती हैं।
अखबारों में छपी सारी खबरें, घटनाएं-दुर्घटनाएं, चाहे कैसी भी हों, सरकार जी को और सरकार जी की सरकार को तो बरी कर ही देंगी। यहाँ तक कि पुल गिरने और रेल टकराने की खबरों में भी सरकार जी को और सरकार जी की सरकार को क्लीन चिट दे देंगें। लोग पुल पर चल रहे थे, कदमताल कर रहे थे, इसलिए पुल गिर गया। लोग रेल में यात्रा कर रहे थे, इसलिए दुर्घटना में मर गए। वह आदमी सड़क पर चल रहा था, इस लिए गड्ढे में गिर गया। सरकार जी की सरकार में सफर करना, ‘सफर’ करना ही हो गया है। और सफर करना ही क्यों, सभी कुछ ‘सफर’ करना ही हो गया है।
बात तो हम ‘स्टार’ की कर रहे थे और बात अखबारों की करने लगे। आज का अख़बार देखा क्या? वह फलानी कार का विज्ञापन देखा? फलानी कार पर तीन लाख तीस हज़ार की मानसून छूट! या फिर नए फोन का विज्ञापन, उसकी लॉन्च पर इतना इनौगरल डिस्काउंट। और फिर छूट या डिस्काउंट पर एक छोटा सा स्टार। और फिर एक कोने में भी वैसा ही स्टार। उसके साथ ही लिखा है, टर्म्स एंड कंडीशंस एप्लाइड। मतलब शर्ते लागू। और शर्ते इतने छोटे अक्षरों में लिखी होती हैं कि चश्मे वाले को भी लेंस लगाना पड़े। और ऐसा स्टार इस कार या मोबाइल के विज्ञापन में ही नहीं, आधे से अधिक विज्ञापनों में लगा होता है।
तो सरकार जी की सभी बातों में, सभी वायदों में भी वही ‘स्टार’ लगा होता है। ‘टर्म्स एंड कंडीशंस अप्लाई’ वाला स्टार। शर्ते लागू वाला स्टार। कोई भी वायदा, कोई भी बात बिना दुराव, छिपाव के नहीं होती है। सभी में कंडीशंस अप्लाईड, यानी शर्ते लागू होती हैं। यही बात पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता शुभेन्दु अधिकारी ने स्पष्ट की। बजट से पहले ही स्पष्ट कर दी।
शुभेन्दु अधिकारी जी ने कहा, सबका विकास की बात नहीं होनी चाहिए। विकास सिर्फ उनका होना चाहिए जो हमें, मतलब भाजपा को वोट दे। जो सरकार जी को वोट दे। और जो हमें वोट न दे, भाजपा को वोट न दे, सरकार जी को वोट न दे, विकास से विहीन रहे। उधर शुभेन्दु अधिकारी जी ने कहा और सरकार जी ने मान लिया। शुभेन्दु अधिकारी जी ने बजट से पहले जो कहा और सरकार जी ने बजट में ही लागू कर दिया।
सरकार जी ने कहा, बिहार से हो, तो इतना लो। इतने लाख करोड़ लो। आंध्र से हो, तुम और ज्यादा लो। तुमने बैसाखीयां जो दी हैं। और तुम बंगाल से हो, तुम्हें तो हक भी नहीं मिलेगा। मनरेगा भी नहीं मिलेगा। तुम्हारा अपना जीएसटी भी नहीं मिलेगा। और पंजाब को भी नहीं मिलेगा। तमिलनाडु को भी नहीं मिलेगा। बजट एलोकेशन में भी ‘टर्म्स एंड कंडीशंस एप्लाइ’ चलेगा। शर्ते लागू रहेंगी।
लेकिन उड़ीसा के साथ अन्याय हो गया। लोकसभा में तो वोट दिया ही, विधानसभा में भी बहुमत दे दिया। डबल इंजन की सरकार बना दी। पहले कभी बनी थी, कांग्रेस के जमाने में बनी थी पर जब से डबल इंजन की सरकार का कांसेप्ट देश के सामने आया है, उड़ीसा में डबल इंजन की सरकार पहली बार बनी है। पर फिर भी सरकार जी ने उड़ीसा के लोगों का अहसान नहीं माना। आंध्र और बिहार के लोगों का अहसान माना। उड़ीसा तो अपनी टांगें हैं। और आंध्रप्रदेश और बिहार बैसाखी हैं।
सरकार जी जानते हैं, अहसान बैसाखियों का होता है, अपनी टांगों का नहीं। जब बैसाखियों के सहारे चल रहे हों तो बैसाखियों की केयर करनी होती है। उनको सम्हाल कर रखना पड़ता है। एक भी बैसाखी टूट गई तो दौड़ना तो छोड़ो, चलना भी दूभर हो जायेगा। अपनी टांगों का तो देखा जायेगा। अभी तो बैसखियों की चिंता कर लें। बस बैसाखियाँ न टूटें। सरकार जी न गिरें। सरकार जी की बस यही चिंता है। बस यही टर्म्स एंड कंडीशंस हैं। बस यही शर्त है।
Source: News Click