भाजपा 116, शिवसेना (शिंदे) 56, एनसीपी (अजित पवार) 35 सीटों पर आगे चल रही है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है. यहां सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच सीधी लड़ाई है.
महाराष्ट्र विधानसभा की सभी 288 सीटों के लिए 20 नवंबर को एक ही चरण में मतदान हुआ था, जिसमें लगभग 66.05 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. मुंबई शहर में सबसे कम 52.65 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि सबसे अधिक गढ़चिरौली में मतदान हुआ.
चुनाव आयोग के वेबसाइट के अनुसार महाराष्ट्र में भाजपा, शिव सेना और एनसीपी की महायुति गठबंधन बढ़त में है. भाजपा 116, शिवसेना (शिंदे) 56, एनसीपी (अजित पवार) 35 सीटों पर आगे चल रही है.
किन सीटों पर मुख्य मुकाबला है
बारामती: महाराष्ट्र की बारामती सीट से अजित पवार बनाम युगेंद्र पवार का मुकाबला है. यह सीट लगातार सुर्खियों में है. एनसीपी से अलग होने वाले अजित पवार के लिए ये सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई है. अजित पवार के भतीजे युगेंद्र पवार ही उनके खिलाफ यहां मुक़ाबले में हैं.
लोकसभा चुनाव के दौरान भी ये सीट चर्चा में रही थी. यहां से अजित पवार की पत्नी सुनेत्र पवार, सुप्रिया सुले के ख़िलाफ़ मुकाबले में थीं. सुप्रिया सुले यहां से जीतकर संसद पहुंचीं.
वर्ली: महाराष्ट्र के मुख्य चुनावी मैदानों में वर्ली एक महत्वपूर्ण सीट है, जहां मिलिंद देवड़ा (एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना), आदित्य ठाकरे (शिवसेना यूबीटी) और संदीप देशपांडे (मनसे) वोटों के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं.
साल 2019 में आदित्य ठाकरे पहली बार इसी सीट से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे.
माहिम सीट: माहिम सीट से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. उनके सामने शिवसेना (शिंदे गुट) के मौजूदा विधायक सदा सरवणकर और शिवसेना (उद्धव) के महेश सावंत मैदान में हैं.
नागपुर साउथ वेस्ट: इस सीट से उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कांग्रेस के प्रफुल गुडाधे से चुनौतियों के बीच चौथी बार जीत की कोशिश कर रहे हैं.
कोपरी-पचपाखड़ी: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को कोपरी-पचपाखड़ी में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जिससे ये मुकाबले महाराष्ट्र के राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो गए हैं. यहां से शिंदे को शिवसेना (यूबीटी से केदार प्रकाश दीघे से चुनौती मिल रही है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मुकाबला मुख्य रूप से दो गठबंधनों – महायुति और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ सत्तारूढ़ महायुति के बैनर तले गठबंधन में है. विपक्षी एमवीए गठबंधन में शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार) और कांग्रेस पार्टी शामिल हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा के 288 सीटों में से 16 अनुसूचित जाति और 8 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. शेष 264 सीटें अनारक्षित हैं.
भाजपा ने 149 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारा है. वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना ने 81 सीटों और महायुति के तीसरे प्रमुख घटक उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की अगुआई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) 59 सीटों पर मैदान में हैं.
महा विकास अघाड़ी में कांग्रेस ने 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारा है. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-यूबीटी 95 सीटों पर मैदान में है और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी-एसपी 86 सीटों पर मुकाबला कर रही है.
288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 145 है – आज छह पार्टियों के लिए यह संख्या सबसे महत्वपूर्ण है.
सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) से मिलकर बना महा विकास अघाड़ी (एमवीए) लोकसभा चुनावों में मिली सफलता को दोहरा पाता है या नहीं.
भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट और अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन अपनी खुद की परीक्षा में है क्योंकि यह एक व्यवहार्य गठबंधन के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है.
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त होने वाला है.
महाराष्ट्र में पिछला विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 में हुआ था. चुनावों में भाजपा 105 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी थी. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने क्रमश: 56,54 और 44 सीटें जीती थीं.
भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस ने बीते 23 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार ने उप-मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. लेकिन 26 नवंबर को ही फड़णवीस और अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया था और तीन दिन की ये सरकार गिर गई थी.
आंतरिक संंघर्षों के कारण भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से शिवसेना बाहर हो गई थी. उसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ मिलकर महा विकास अघाड़ी नामक एक नया गठबंधन बनाया, जिसमें शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बने.
उसके बाद जून 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुए हाई-वोल्टेज विद्रोह में 40 विधायकों ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार का साथ छोड़ दिया था. इसके बाद महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई और उद्धव के इस्तीफे के बाद शिंदे ने भाजपा की मदद से सरकार बनाने हुए मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
उसके बाद जुलाई 2023 में शरद पवार के भतीजे अजीत पवार आठ विधायकों के साथ महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे.
Source: The Wire