
मौनी अमावस्या पर इलाहाबाद महाकुंभ में हुई भगदड़ को लेकर राज्य सरकार ने बताया था कि इसमें 30 लोगों की मौत हुई और 60 घायल हुए. इस आंकड़े को कभी अपडेट नहीं किया गया. अब बीबीसी की पड़ताल में सामने आया है कि इस हादसे में कम से कम 82 लोगों के मरने की पुष्टि की जा सकती है.
नई दिल्ली: एक पड़ताल में सामने आया है कि इलाहाबाद में महाकुंभ आयोजन के दौरान इस साल 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर मची भगदड़ में ‘कम से कम 82 लोगों की मौत’ हुई थी.
बीबीसी हिंदी की इस रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआती चुप्पी के करीब पंद्रह घंटों बाद राज्य सरकार ने बताया था कि 28 जनवरी की देर रात संगम नोज इलाके में हुई भगदड़ में 30 लोगों की मौत हुई और 60 घायल हुए. इसके बाद यह आंकड़ा कभी अपडेट नहीं किया गया और सरकार ने अभी तक कुंभ में मरने वाले लोगों की कुल संख्या नहीं बताई है.
हालांकि, सरकार ने मरने वालों के परिवारों के लिए 25 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी, लेकिन मृतकों की वास्तविक संख्या को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं.
इस संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में इस बार कुंभ में मरने वाले लोगों की कुल संख्या का खुलासा करने के लिए कहा था.
बीबीसी की पड़ताल के अनुसार, उन्होंने 26 ऐसे परिवारों से मुलाकात की है, जिन्हें 5-5 लाख रुपये का नकद मुआवजा दिया गया है, लेकिन मृतकों की गिनती में इनका नाम नहीं शामिल किया गया है.
बीबीसी ने ये पड़ताल 50 जिलों में की है और इसके लिए करीब 100 परिवारों से मुलाकात की गई है, जिसके बाद ये निष्कर्ष सामने आया है कि इस भगदड़ में कम से कम 82 लोगों के मरने की पुष्टि की जा सकती है.
मालूम हो कि केंद्र सरकार और आदित्यनाथ सरकार ने दावा किया है कि इस बार के 45 दिन चले महाकुंभ में 66 करोड़ लोगों ने भाग लिया था, जो कि यह एक बड़ी सफलता है. इस आयोजन पर कथित तौर पर 7000 करोड़ रुपये का सार्वजनिक धन खर्च किया गया. इस संबंध में 19 फरवरी को ही मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने राज्य विधानसभा में भगदड़ पर बयान दिया था, जिसमें उन्होंने 30 लोगों की मौत और 29 शवों की पहचान होने की बात स्वीकार की थी.
उन्होंने कुछ स्थानों को ‘प्रेशर पॉइंट’ बताते हुए कहा था कि वहां कुछ कठिनाई का अनुभव किया गया. बीबीसी ने अपनी जांच में पाया कि मौतें इन तथाकथित ‘प्रेशर पॉइंट’ में से चार पर हुईं.
इस रिपोर्ट में पीड़ितों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, पहली श्रेणी में वे लोग शामिल हैं, जिन्हें आधिकारिक तौर पर 25 लाख रुपये का मुआवज़ा मिला, दूसरी श्रेणी में वे लोग शामिल हैं, जिन्हें 5 लाख रुपये नकद मिले. तीसरी श्रेणी में वे पीड़ित शामिल हैं जिन्हें कुछ भी नहीं मिला.
जहां तक सरकार द्वारा ऐसी टाली जा सकने वाली त्रासदियों के लिए मुआवजे के रूप में नकद राशि देने की बात है, तो उसमें फरवरी में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को अनुग्रह राशि वितरित करने के तरीके को लेकर भी कई सवाल उठे थे.
तब केंद्रीय रेल मंत्रालय द्वारा परिजनों को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की गई थी, जिसे अधिकारियों को कथित तौर पर 100 और 50 रुपये के नोटों के बंडलों में नकदी की गड्डियां सौंपते हुए देखा गया था.
हालांकि अब सामने आया है कि महाकुंभ में मची भगदड़ के मृतकों में से 37 को 25 लाख रुपये का भुगतान सीधे ट्रांसफर या चेक के माध्यम से किया गया था.
वहीं, 26 परिवारों को 5-5 लाख की नकदी दी गई थी, जिसे लेकर बीबीसी का कहना है कि वह यह पुष्टि करने में असमर्थ है कि इन परिवारों के लिए ये पैसा कहां से आया, जो कुल मिलाकर 1 करोड़ और 30 लाख का रकम है.
जांच में जिन लोगों के बारे में पुष्टि की गई है कि उन्हें नकद राशि दी गई थी, उनमें से अधिकांश के पास पैसे सौंपे जाने के वीडियो और तस्वीरें हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर मामलों में पैसे सौंपने के काम में यूपी पुलिस शामिल थी.
बीबीसी का कहना है कि वह इस बात की पुष्टि करने में सक्षम है कि कम से कम 19 परिवार ऐसे हैं जिन्होंने भगदड़ में अपने लोगों को खो दिया है, लेकिन उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं मिली है.
जांच में प्रत्यक्षदर्शियों, तस्वीरों और प्रभावित पक्षों से बातचीत के कई विवरण शामिल हैं.
रिपोर्ट के आखिर में ये कहा गया है कि ऐसी संभावना है कि भगदड़ में मरने वालों की संख्या बहुत अधिक हो, लेकिन बीबीसी 82 के आंकड़े की ही पुष्टि कर सकता है, क्योंकि यह वह संख्या है, जो ठोस साक्ष्यों और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधारित है.
Source: The Wire