
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के जीत के जश्न के दौरान बेंगलुरू के एन चिन्नास्वामी स्टेडिम में मची भगदड़ मामले में कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार अपनी ही राज्य पुलिस और आरसीबी के बीच आरोप-प्रत्यारोप के खेल में फंसती नज़र आ रही है. सरकार ने हाईकोर्ट के सामने अपनी पुरानी स्थिति से पलटते हुए कर्नाटक पुलिस को इस भगदड़ दोषी ठहराया है, जबकि सेवानिवृत्त जस्टिस माइकल डी कुन्हा की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय समिति ने इस मामले में आरसीबी को कटघरे में खड़ा किया है.
नई दिल्ली: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के जीत के जश्न के दौरान बेंगलुरू के एन चिन्नास्वामी स्टेडिम में मची भगदड़ मामले में कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार अपनी ही राज्य पुलिस और आरसीबी के बीच आरोप-प्रत्यारोप के खेल में फंसती नज़र आ रही है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने हाईकोर्ट के सामने अपनी पुरानी स्थिति से पलटते हुए कर्नाटक पुलिस को इस भगदड़ दोषी ठहराया है, जबकि सेवानिवृत्त जस्टिस माइकल डी कुन्हा की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय समिति ने इस मामले में आरसीबी को कटघरे में खड़ा किया है.
इस संबंध में सरकार ने बुधवार (16 जुलाई) को जस्टिस एस.जी. पंडित और टी.एम. नदाफ की खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि पुलिस को इस कार्यक्रम पर औपचारिक रूप से आपत्ति जतानी चाहिए थी और चूंकि इसके लिए कोई आधिकारिक अनुमति नहीं ली गई थी, उन्हें सुरक्षा देने से इनकार करना चाहिए था.
वहीं, द टेलीग्राफ में प्रकाशित हालिया खबर के अनुसार, गुरुवार (17 जुलाई) को कर्नाटक उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष दायर स्थिति रिपोर्ट में राज्य की कांग्रेस सरकार ने इस घटना के लिए रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने पुलिस और बेंगलुरु नगर निगम से पूर्व अनुमति लिए बिना ही विजय उत्सव मनाने का एकतरफा फैसला लिया था.
मालूम हो कि चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून को मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई थी और 50 के करीब अन्य लोग घायल हो गए थे. ये भगदड़ उस वक्त मची थी, जब आरसीबी द्वारा हासिल की गई पहली इंडियन प्रीमियर लीग की ट्रॉफी का जश्न मनाया जा रहा था.
इस त्रासदी से पहले विजयी टीम पास के राज्य विधानमंडल से स्टेडियम पहुंची थी, जहां सिद्धारमैया और उनके डिप्टी डीके. शिवकुमार ने उनका अभिनंदन किया था. भगदड़ के समय टीम कथित तौर पर स्टेडियम के अंदर मौजूद थी.
सिद्धारमैया ने उस दौरान दावा किया था कि स्टेडियम में आने वाले लोगों की संख्या ‘दो से तीन लाख’ के आसपास थी, लेकिन अधिकारियों को उम्मीद थी कि स्टेडियम की क्षमता के हिसाब से करीब 35,000 लोग वहां आएंगे.
क्या है सेवानिवृत्त जस्टिस माइकल डी कुन्हा की रिपोर्ट में?
जस्टिस माइकल डी कुन्हा आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के आधार पर कर्नाटक सरकार की कैबिनेट ने 17 जुलाई को एक अहम फैसला लेते हुए आरसीबी और कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (केएससीए) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने की मंजूरी दी है.
एनडीटीवी के मुताबिक, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आरसीबी प्रबंधन ने 3 जून को पुलिस से संपर्क किया था. 18 साल बाद आईपीएल ट्रॉफी जीतने के बाद टीम ने पुलिस को संभावित विक्ट्री परेड के बारे में बताया था. लेकिन ये सिर्फ एक सूचना मात्र थी, इसके लिए कानून के तहत कोई अनुमति नहीं ली गई थी.
रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसे आयोजनों के लिए कम से कम सात दिन पहले लेनी होती है.
आगे रिपोर्ट में लिखा है कि आरसीबी ने पुलिस से पूछे बिना अगले दिन सुबह 7.01 बजे अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर एक फोटो पोस्ट की. इसमें लोगों के लिए फ्री में एंट्री की सूचना दी गई थी. सुबह 8 बजे एक और पोस्ट किया गया. इसमें इस जानकारी को दोहराया गया.
रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद सुबह 8:55 बजे आरसीबी के आधिकारिक एक्स हैंडल पर विराट कोहली का एक वीडियो क्लिप शेयर किया. जिसमें उन्होंने बताया कि टीम इस जीत का जश्न 4 जून को बेंगलुरु में शहर के लोगों और आरसीबी फैन्स के साथ मनाना चाहती है.
इसके बाद आरसीबी ने दोपहर 3:14 बजे एक और पोस्ट किया. इसमें शाम 5:00 बजे से 6:00 बजे तक विधानसभा से चिन्नास्वामी स्टेडियम तक विक्ट्री परेड आयोजित करने की घोषणा की गई. इस पोस्ट में कहा गया कि इस परेड के बाद चिन्नास्वामी स्टेडियम में समारोह आयोजित किया जाएगा.
रिपोर्ट में बताया गया, ‘इस पोस्ट में पहली और एकमात्र बार बताया गया था कि shop.royalchallengers.com पर मुफ्त पास (सीमित एंट्री) उपलब्ध थे. इस वक्त तक पास के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी. जिसका अर्थ है कि ये आयोजन आरसीबी पोस्ट के आधार पर सभी के लिए खुला था.’
आरसीबी की सोशल मीडिया पोस्ट लोगों की भीड़ की वजह
इन तमाम पोस्ट्स को सोशल मीडिया पर काफी देखा गया. इसमें 44 लाख से ज्यादा व्यूज थे. जस्टिस कुन्हा की रिपोर्ट में बताया गया कि 4 जून को दोपहर करीब 3 बजे चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास अचानक लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. इस सीमित जगह में लगभग 3 लाख लोग इकट्ठा हो गए, जबकि स्टेडियम की क्षमता 35 हजार से कुछ ज्यादा था.
आरसीबी और आयोजकों ने सोशल मीडिया हैंडल पर फ्री एंट्री की बात कही थी. इस वजह से स्टेडियम के एंट्री गेट्स पर इतनी भीड़ जमा हो गई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आरसीबी, डीएनए (आयोजक कंपनी) और केएससीए आपस में समन्व्य करने में विफल रहे. प्रवेश द्वार पर खराब प्लानिंग और उन्हें खोलने में देरी की गई. जिस कारण अव्यवस्था फैल गई. और भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई. घटना में सात पुलिसकर्मी घायल हो गए.
इसके अलावा जांच में पता चला कि प्रमुख अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई नहीं की. जॉइंट पुलिस कमिश्नर शाम 4 बजे घटनास्थल पर पहुंचे. जबकि पुलिस कमिश्नर को घटना की जानकारी शाम 5:30 बजे तक नहीं दी गई थी.
वहीं, इस मामले में कर्नाटक सरकार ने आइपीएस अधिकारी विकास कुमार के निलंबन को हाई कोर्ट में उचित ठहराते हुए गुरुवार को दलील दी कि पुलिस अधिकारी और उनके सहकर्मियों ने आइपीएल जीत के जश्न की तैयारियों के दौरान ‘आरसीबी के नौकरों’ की तरह काम किया.
राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पीएस राजगोपाल ने अदालत को बताया कि आइपीएल का फाइनल मैच खेले जाने से पहले ही रायल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने अपनी जीत की सूरत में पुलिस अधिकारियों को एक प्रस्ताव सौंपा था. इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी वाले आयोजन के लिए अधिकारियों ने अपने वरिष्ठों से अनुमति या परामर्श किए बिना ही अपने स्तर पर सुरक्षा इंतजाम शुरू कर दिए.
इस संबंध में राजगोपाल ने कहा, ‘आइपीएस अधिकारी की ओर से सबसे स्पष्ट प्रतिक्रिया तो यह होनी चाहिए थी- आपने अनुमति नहीं ली है. तब, आरसीबी को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता और कानून अपना काम करता.’
उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी से काम न करने की इस विफलता के कारण संचालन संबंधी खामियां और कर्तव्य की गंभीर अवहेलना हुई. यह दलील देते हुए कि 12 घंटे से कम समय में भारी भीड़ के लिए व्यवस्था करना अव्यावहारिक था, राजगोपाल ने सवाल किया कि निलंबित अधिकारी ने उस दौरान क्या कदम उठाए थे?
उन्होंने कर्नाटक राज्य पुलिस अधिनियम की धारा 35 का हवाला दिया, जो पुलिस को आवश्यक कार्रवाई करने का अधिकार देती है तथा अधिकारियों द्वारा उस अधिकार का उपयोग न करने की आलोचना की. राजगोपाल ने कहा कि वरिष्ठ स्तर पर कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया था.
गौरतलब है कि इससे पहले 5 जून को पुलिस ने इस हादसे को लेकर आरसीबी, डीएनए इवेंट कंपनी और कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (केसीएसए) के प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज किया था.
इस संबंध में कर्नाटक मंत्रिमंडल ने लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना व्यवहार के लिए बेंगलुरु शहर के पुलिस प्रमुख सहित कई पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने का फैसला किया था.
मंत्रिमंडल ने इस कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई करने का फैसला किया था, जिनमें रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के प्रतिनिधि भी शामिल थे.
इसके बाद आरसीबी प्रबंधन से निखिल सोजले और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी डीएनए से सुनील मैथ्यू को केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हिरासत में लिया गया था.
Source: The Wire