एडीआर और न्यू इलेक्शन वॉच द्वारा मौजूदा सांसदों और विधायकों के चुनावी हलफ़नामों के विश्लेषण में सामने आया है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के केस का सामना कर रहे जनप्रतिनिधियों में सर्वाधिक नेता भाजपा के हैं. दूसरे और तीसरे स्थान पर कांग्रेस और तेदेपा हैं.
नई दिल्ली: देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर बढ़ते आक्रोश के बीच एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश के 16 सांसदों और 135 विधायकों यानी कुल 151 जनप्रतिनिधियों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और न्यू इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) द्वारा बुधवार (21 अगस्त) को जारी एक रिपोर्ट में मौजूदा सांसदों और विधायकों के 4,809 चुनावी हलफनामों में से 4,693 के विश्लेषण के आधार पर ये जानकारी सामने आई है.
इस रिपोर्ट में पिछले पांच वर्षों में सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के मौजूदा सांसदों के 776 में से 755 हलफनामों और 4,033 मौजूदा विधायकों में से 3938 का विश्लेषण शामिल है.
रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस का सामना कर रहे जनप्रतिनिधियों में सबसे ज्यादा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) (54) के नेता हैं. इसके बाद कांग्रेस के 23 और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के 17 सांसद और विधायक हैं.
राज्यों की बात करें, तो रिपोर्ट बताती है कि पश्चिम बंगाल 25 ऐसे मामलों के साथ उन राज्यों में सबसे आगे है, जहां महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा करने वाले मौजूदा सांसदों और विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा है. आंध्र प्रदेश 21 के साथ दूसरे और ओडिशा 17 मौजूदा सांसदों और विधायकों के साथ तीसरे स्थान पर है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 151 में से 16 मौजूदा सांसदों और विधायकों ने बलात्कार से संबंधित मामलों की घोषणा की है, जिनमें से दो मौजूदा सांसद हैं और 14 मौजूदा विधायक हैं. वहीं, पार्टियों में भाजपा और कांग्रेस दोनों इस सूची में सबसे ऊपर हैं, उनके वर्तमान सांसदों और विधायकों के खिलाफ बलात्कार के पांच-पांच मामले घोषित हैं.
राज्यों में, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बलात्कार से संबंधित मामले घोषित करने वाले विधायकों की संख्या सबसे अधिक है. इनमें से प्रत्येक राज्य में ऐसे दो-दो विधायक हैं.
2009 के बाद से दागदार सांसदों में 124% की वृद्धि
एडीआर और एनईडब्ल्यू द्वारा एक अन्य रिपोर्ट भी बुधवार को जारी की गई, जिसमें 2024 के लोकसभा चुनावों को जीतने वाले उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि, संपत्ति, शिक्षा, लिंग और अन्य विवरणों का विश्लेषण किया गया है. इसमें पाया गया कि 2009 के बाद से घोषित गंभीर आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में इस बार 124% की वृद्धि हुई है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवारों में से 31% (170) ने उनके खिलाफ दर्ज बलात्कार, हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध आदि से संबंधित गंभीर आपराधिक मामलों की घोषणा की है. जबकि, साल 2019 में 539 जीतने वाले उम्मीदवारों में से 29% (159) ने ऐसे गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए थे.
वहीं, अगर 2014 चुनाव को जीतने वाले उम्मीदवारों का विश्लेषण देखें, तो तब कुल 542 सांसदों में से 112 यानी 21% सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. 2009 में ये आंकड़ा और कम था, तब 543 सांसदों में से 76 यानी 14% सांसदों ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों का खुलासा किया था.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि घोषित आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार के जीतने की संभावना 15.3% है, जबकि बेदाग पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार की जीतने की संभावना 4.4% है.
18वीं लोकसभा में सभी पार्टियों के बीच भाजपा के 240 जीते हुए उम्मीदवारों में से 94 आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं, जो किसी भी पार्टी के सांसदों में सबसे अधिक संख्या है. इसके बाद कांग्रेस दूसरे (49), और समाजवादी पार्टी (21) तीसरे स्थान पर है.
Source: The Wire