देश के दो राज्यों में चुनाव चल रहे हैं। महाराष्ट्र और झारखंड में। वोटिंग 20 नवंबर को संपन्न हो जाएगी। सरकार जी ने भी चुनाव प्रचार में बढ़ चढ़ कर भाग लिया है। इसमें कुछ भी नया नहीं है। सरकार जी तो हर चुनाव में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इस बार सरकार जी ने नया नारा दिया है, ‘एक हैं तो सेफ हैं’।
सरकार जी से पहले सरकार जी की पार्टी के नेताओं ने नारा दिया था, ‘बंटेंगे तो कटेंगे’। सरकार जी को उस नारे में जरूर ही कोई गड़बड़ी लगी होगी तभी नया नारा दिया है। अब नारा दिया है, ‘एक हैं तो सेफ हैं’। कटने शब्द से तो दिक्कत नहीं ही रही होगी, वैसे बंटने शब्द से भी कहां रही होगी।
जब बंटने की बात होती है तो कोई भी पूछता है, आजकल बांट कौन रहा है। सरकार जी ही तो बांट रहे हैं ना। उनके नेता ही तो बांट रहे हैं ना। उनका दल ही तो बांट रहा है ना। सुनते पढ़ते आए हैं, ‘बांटो और राज करो’, अंग्रेजों की नीति थी। यही आजकल सरकार जी की नीति है। अंग्रेजों ने हिन्दू मुसलमान में बांटा हुआ था, सरकार जी ने भी हिन्दू मुसलमान में बांटा हुआ है। सरकार जी अंग्रेजों से अलग कहां हैं।
अब सरकार जी ने नारा दिया है, एक हैं तो सेफ हैं। हम तो सोचते थे, दो हैं तो सेफ हैं। दो गुजराती केंद्र में, और वे दोनों दो गुजरातियों की जेब में। पर नहीं अब ‘एक हैं तो सेफ हैं’। भरोसा एक पर ही किया जा सकता है। राज एक तक ही रखा जा सकता है। एक के होने से ही सेफ्टी है। तो सरकार जी ने नया नारा दिया, ‘एक हैं तो सेफ हैं’। अब दो ए नहीं, अब बस एक ए ही है। और वह सेफ है।
यह पक्का भी हो गया है। तब जब पोल खुली कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने की मीटिंग उस एक के यहां ही हुई थी। खरीद फरोख्त में भी पैसा भी शायद उस एक के पास से ही आता है। इसीलिए सरकार जी को लगता है कि जबतक वह एक है, तबतक वे सेफ हैं। तो नारा दे दिया, एक हैं तो सेफ हैं।
पर हमारा मानना है, करोड़ों देशवासियों का मानना है कि एक सौ चालीस करोड़ हैं तो सेफ हैं। सौ करोड़ को इधर करने और चालीस करोड़ को उधर करने से सेफ नहीं हैं। सेफ्टी के इस तरीके से चुनाव तो जीता जा सकता है, पर यह सेफ नहीं है। इससे सरकार जी तो सेफ हो सकते हैं पर देश सेफ नहीं है।
Source: News Click