सर्किल ऑफिसर (सीओ) अनुज चौधरी ने दो युवकों की मौत की पुष्टि की।
हिंदुत्व वाच की रिपोर्ट के अनुसार, जब कोर्ट द्वारा नियुक्त सर्वेक्षण दल जामा मस्जिद में “जय श्री राम” के नारे लगाते हुए पहुंचा तो हिंसक झड़प हो गई, क्योंकि वहां हिंदू मंदिर होने के दावों की जांच की जा रही थी। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और गोलियां चलाईं, जिसमें मुस्लिम लोगों की मौत हो गई।
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हिंसक बवाल के बाद सख्ती बढ़ा दी गई है। 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा पर रोक है। स्कूल-कॉलेज भी बंद कर दिया गया है। अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस ने 21 लोगों को हिरासत में लिया है। भारी संख्या में पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है। खुफिया विभाग की टीम को इनपुट जुटाने के लिए एक्टिव किया गया है। पुलिस मुखबिरों के सहारे तमाम सूचना ले रही है। जामा मस्जिद की जमीन पर पहले हरिहर मंदिर होने का दावा करते हुए एक याचिका लगाई गई थी। जिला कोर्ट के आदेश पर रविवार को आनन-फानन में मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी।
साभार : बिजनेस स्टैंडर्ड
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (मुरादाबाद) मुनिराज ने कहा कि इलाज के दौरान एक घायल व्यक्ति की मौत हो गई।
जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने रविवार देर रात कहा कि निषेधाज्ञा आदेश भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रावधानों के तहत जारी किया गया है। तत्काल प्रभाव से लागू हुए आदेश में कहा गया है, “कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन या जन प्रतिनिधि सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना जिले की सीमा में प्रवेश नहीं करेंगे।”
आदेश का उल्लंघन बीएनएस की धारा 223 (डिसओबेडिएंस टू ऑर्डर ड्यूली प्रोमलगेटेड बाई पब्लिक सर्वेंट) के तहत दंडनीय होगा।
इससे पहले, मुनिराज ने मीडिया से कहा कि रविवार की हिंसा में मारे गए तीन लोगों नईम, बिलाल और नौमान को दफना दिया गया है। तीनों की उम्र करीब 25 साल थी।
प्रदर्शनकारी मस्जिद के सर्वे का विरोध कर रहे थे जिससे तनाव बढ़ गया। इससे प्रदर्शनकारी और पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई। इलाके में तनाव बना हुआ है और स्थिति को संभालने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा तैनात की गई है।
साभार : पीटीआई
ज्ञात हो कि पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने संभल सिविल कोर्ट में दलील दी थी कि संभल में जामा मस्जिद दरअसल श्री हरिहर मंदिर है। सुनवाई के बाद वरिष्ठ सिविल जज संभल डिवीजन ने एडवोकेट कमिश्नर की निगरानी में सर्वे के आदेश दिए।
द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, इन आरोपों को कोर्ट में 4 बजे पेश किया गया। इसके तुरंत बाद कोर्ट ने सर्वे करने के लिए कोर्ट कमिश्नर को मस्जिद भेजा। जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक समेत कई जिला अधिकारी भी भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे। एक वीडियो में पुलिस की गाड़ियां मौके पर पहुंचती दिखी और कोर्ट कमिश्नर मस्जिद का दरवाजा खोलते दिखे, उनके साथ मस्जिद कमेटी के सदस्य भी मौजूद रहे।
मीडिया से बात करते हुए विष्णु शंकर ने कहा था कि, बाबर ने इसे आंशिक रूप से ध्वस्त कर मस्जिद बनवाई थी। उन्होंने कहा था, “वर्ष 1529 में बाबर ने मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास किया और उस पर मस्जिद बनवाई। चूंकि यह एएसआई संरक्षित क्षेत्र है, इसलिए कोई अतिक्रमण नहीं किया जा सकता। मस्जिद में कई चिन्ह और निशान हैं जो हिंदू मंदिर के हैं। इसे ध्यान में रखते हुए कोर्ट के पारित आदेश के बाद सर्वेक्षण कराया जाएगा।”
साभार : बिजनेस टूडे
विष्णु शंकर वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन के बेटे हैं। पिता और बेटे दोनों लगभग 110 मामलों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिसमें कृष्ण जन्मभूमि और ज्ञानवापी मामले भी शामिल हैं। शंकर को वर्ष 2021 में पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देते हुए राम जन्मभूमि मामला लड़ने के लिए जाना जाता है।
संभल की जामा मस्जिद के अध्यक्ष मोहम्मद जफर का दावा है कि मस्जिद किसी भी मंदिर को तोड़ कर नहीं बनी और मस्जिद के हिन्दू मन्दिर के कोई निशान नहीं है। संभल की जामा मस्जिद के कोर्ट कमिश्नर सर्वे के आदेश पर मोहम्मद जफर आश्चर्य जताते हुए दावा करते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ही दिन में कोर्ट के मामला आता है, उसी दिन सुनवाई होती है और याचिका स्वीकार होकर कोर्ट कमिश्नर सर्वे का आदेश होता है और उसी रात सर्वे शुरू भी हो जाता है।
अंजुमन मसाजिद के संयुक्त सचिव एस एम यासीन ने कहा कि, 1991 में कुछ लोगों ने ज्ञानवापी मस्जिद के विरुद्ध मुकदमा दायर कर दिया था जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1998 में Places of worship Act1991 के आधार पर स्टे दिया था। 2020में केस सुना जाने लगा। हम लोग सर्वोच्च न्यायालय मे अपील किए। हमारी कोशिश अभी तक सुनी नही जा सकी, पूर्ववर्ती मुख्य न्यायाधीश ने जरूरत नहीं समझी। अगर हमारे मुक़दमे पर इमानदारी से Places of worship Act1991 के अनुसार फैसला हो गया होता तो कहीं पर किसी भी मस्जिद पर मुकदमा नहीं होता। बहुतों ने मुकदमात कायम कर शोहरत और धन लाभ का जरिया बना लिया। जगह-जगह मुकदमात कायम कर देश की फिज़ा को जहर आलूद कर रहे हैं। …इन सब को रोकने का एक ही उपाय है वह है Places of worship Act1991 की वैधानिक मान्यता और सर्वोच्च न्यायालय ही दे सकती है।
संभल में मस्जिद सर्वे को लेकर हुए बवाल के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “संभल, उत्तर प्रदेश में हालिया विवाद पर राज्य सरकार का पक्षपात और जल्दबाज़ी भरा रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हिंसा और फायरिंग में जिन्होंने अपनों को खोया है उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। प्रशासन द्वारा बिना सभी पक्षों को सुने और असंवेदनशीलता से की गई कार्रवाई ने माहौल और बिगाड़ दिया और कई लोगों की मृत्यु का कारण बना – जिसकी सीधी ज़िम्मेदार भाजपा सरकार है। भाजपा का सत्ता का उपयोग हिंदू-मुसलमान समाजों के बीच दरार और भेदभाव पैदा करने के लिए करना न प्रदेश के हित में है, न देश के। मैं सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप कर न्याय करने का अनुरोध करता हूं। मेरी अपील है कि शांति और आपसी सौहार्द बनाए रखें। हम सबको एक साथ जुड़ कर यह सुनिश्चित करना है कि भारत सांप्रदायिकता और नफ़रत नहीं, एकता और संविधान के रास्ते पर आगे बढ़े।”
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लिखा, “सर्वे के नाम पर तनाव फैलाने की साज़िश का ‘सर्वोच्च न्यायालय’ तुरंत संज्ञान ले और जो अपने साथ सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने के उद्देश्य से नारेबाज़ों को ले गये, उनके ख़िलाफ़ शांति और सौहार्द बिगाड़ने का मुक़दमा दर्ज हो और उनके ख़िलाफ़ ‘बार एसोसिएशन’ भी अनुशासनात्मक और दंडात्मक कार्रवाई करे। उप्र शासन-प्रशासन से न कोई उम्मीद थी, न है।”
वहीं नवनिर्वाचित कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, “संभल, उत्तर प्रदेश में अचानक उठे विवाद को लेकर राज्य सरकार का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इतने संवेदनशील मामले में बिना दूसरा पक्ष सुने, बिना दोनों पक्षों को विश्वास में लिए प्रशासन ने जिस तरह हड़बड़ी के साथ कार्रवाई की, वह दिखाता है कि सरकार ने खुद माहौल खराब किया। प्रशासन ने जरूरी प्रक्रिया और कर्तव्य का पालन भी जरूरी नहीं समझा। सत्ता में बैठकर भेदभाव, अत्याचार और फूट फैलाने का प्रयास करना न जनता के हित में है, न देश के हित में। माननीय सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का संज्ञान लेकर न्याय करना चाहिए। प्रदेश की जनता से मेरी अपील है कि हर हाल में शांति बनाएं रखें।”
संभल जिले के मुस्लिम समुदाय का कहना है कि, “कुंदरकी सीट पर हुए उपचुनाव में सपा प्रत्याशी को सिर्फ 25000 वोट मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी ने 144000 वोटों से चुनाव जीत लिया। यह वह सीट है जहां 31 साल तक कभी बीजेपी चुनाव नहीं जीती थी। यहां 60 फ़ीसदी आबादी मुसलमान की है तो सपा प्रत्याशी को सिर्फ 25000 वोट कैसे मिले? इन करतूत को छिपाने के लिए दंगा कराया गया।”