
एडीआर के अनुसार, 2023-24 में सभी राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे का 88 फीसदी यानी कुल 2,243.947 करोड़ रुपये भाजपा को मिले हैं, जो इसी अवधि के लिए कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी और सीपीआई (एम) द्वारा घोषित कुल चंदे से छह गुना अधिक है.
नई दिल्ली: चुनाव निगरानी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित कुल चंदा 2,544.278 करोड़ रुपये था, जिसमें से 2,243.947 करोड़ रुपये अकेले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मिला था.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, एडीआर के विश्लेषण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान राष्ट्रीय दलों को प्राप्त कुल चंदे में 1,693.84 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 199.17% की वृद्धि है.
मालूम हो कि इस विश्लेषण में केवल 20,000 रुपये से अधिक के चंदे पर विचार किया गया है, क्योंकि चंदा देने वाले व्यक्ति या कॉरपोरेट – जो किसी भी राजनीतिक दल को एक बार में 20,000 रुपये से कम का योगदान देते हैं, उन्हें अपना विवरण प्रकट करने की बाध्यता नहीं है, और उनके योगदान को अज्ञात आय के रूप में वर्गीकृत किया जाता है.
सभी राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे का 88 फीसदी यानी 8,358 चंदे से कुल 2,243.947 करोड़ रुपये भाजपा को मिले हैं, जो इसी अवधि के लिए कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और सीपीआई (एम) द्वारा घोषित कुल चंदे से छह गुना अधिक है.
रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा को जहां राजनीतिक चंदे का सबसे बड़ा हिस्सा मिला, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने पिछले साल की तुलना में इन दानों में अधिक वृद्धि दर्ज की.
कांग्रेस ने 1994 चंदों के ज़रिये कुल 281.48 करोड़ रुपये जुटाए और दूसरे स्थान पर रही. वहीं, आम आदमी पार्टी (आप), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी), और नेशनल पीपल्स पार्टी को छोटे चंदे मिले.
भाजपा का चंदा 2022-23 वित्तीय वर्ष में 719.858 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 2,243.94 करोड़ रुपये हो गया, जो कि 211.72 प्रतिशत की वृद्धि है.
इसी तरह, कांग्रेस को 2022-23 में 79.924 करोड़ रुपये चंदे में मिले थे, जो 2023-24 में बढ़कर 281.48 करोड़ रुपये हो गए. कांग्रेस के चंदे में 252.18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
वहीं, आम आदमी पार्टी के चंदे में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार 70 फीसदी (26.038 करोड़ रुपये) तक की कमी आई है. नेशनल पीपुल्स पार्टी के चंदे में 98.02 प्रतिशत या 7.331 करोड़ रुपये की कमी आई है.
इसी अवधि में राष्ट्रीय पार्टियों को 3,755 कॉरपोरेट क्षेत्रों से 2262.55 करोड़ रुपये (कुल चंदे का 88.92 प्रतिशत) का चंदे मिला. जबकि 8493 व्यक्तिगत दाताओं से 270.872 करोड़ रुपये (कुल चंदे का 10.64 प्रतिशत) चंदे में दिए.
राज्यवार आंकड़ों में दिल्ली सबसे अधिक योगदानकर्ता रहा, जिसने राष्ट्रीय दलों को कुल 989.20 करोड़ रुपये दिए. इसके बाद गुजरात ने 404.512 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र ने 334.079 करोड़ रुपये दिए.
एडीआर ने कहा कि राज्यों के अनुसार चंदे का पृथक्करण, चुनाव आयोग को दी गई चंदा रिपोर्ट में पार्टियों द्वारा दिए गए पतों के आधार पर किया गया है.
भाजपा को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अन्य सभी राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित कॉरपोरेट दान की कुल राशि से नौ गुना से अधिक प्राप्त हुआ.
कांग्रेस को वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कॉरपोरेट/व्यावसायिक क्षेत्रों से 102 चंदे के माध्यम से कुल 190.3263 करोड़ रुपये और 1,882 व्यक्तिगत दाताओं के माध्यम से 90.899 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.
प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट फिर से दान में सबसे आगे
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट पार्टियों को सबसे ज़्यादा चंदा देने वाला संगठन था, जिसने भाजपा और कांग्रेस को मिलाकर कुल 880.0775 करोड़ रुपये दिए.
ट्रस्ट ने भाजपा को 723.675 करोड़ रुपये और कांग्रेस को 156.4025 करोड़ रुपये दान किए.
एडीआर के इलेक्टोरल ट्रस्ट के साल-दर-साल विश्लेषण के अनुसार प्रूडेंट पहले भी भाजपा का सबसे बड़ा दानकर्ता रहा है.
ईसीआई की वेबसाइट के अनुसार, प्रूडेंट को दान देने वालों में आरपी संजीव गोयनका ग्रुप, मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, भारती एयरटेल, जीएमआर, डीएलएफ ग्रुप आदि शामिल हैं.
आरपी संजीव गोयनका ग्रुप, मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, भारती एयरटेल, डीएलएफ भी अब समाप्त हो चुकी चुनावी बॉन्ड योजना में प्रमुख योगदानकर्ताओं में से थे.
ज्ञात हो कि चुनावी बॉन्ड और चुनावी ट्रस्ट के बीच अंतर यह है कि पिछले साल की शुरुआत तक बॉन्ड को व्यक्तियों और कॉरपोरेट संस्थाओं द्वारा केवल विशिष्ट समयावधि के दौरान ही गुमनाम रूप से खरीदा जा सकता था, जबकि चुनावी ट्रस्ट से पूरे साल योगदान लिया जा सकता है.
ट्रस्ट उन्हें मिलने वाले दान के पैसे को राजनीतिक दलों को देते हैं. इस बात का भी सार्वजनिक रिकॉर्ड है कि किसने किस चुनावी ट्रस्ट को कितना चंदा दिया है.
चुनावी बॉन्ड योजना नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई थी, जबकि चुनावी ट्रस्ट योजना कांग्रेस द्वारा 2013 में लाई गई थी और यह कॉरपोरेट घरानों को ऐसे दान के माध्यम से कर छूट का दावा करने की अनुमति देती है.
फरवरी में एडीआर ने नोट किया था कि भाजपा को 2023-24 में चुनावी ट्रस्टों के माध्यम से लगभग 857 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे, जो सभी राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का का 70% हिस्सा था.
Source: The Wire