
डेटा इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म ट्रैक्सन के अनुसार, पिछले दो सालों में भारत में 28,000 से अधिक स्टार्टअप बंद हो चुके हैं. इस साल अब तक 259 स्टार्टअप्स बंद हो चुके हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में यह संख्या और बढ़ सकती है.
नई दिल्ली: पिछले दो सालों में दिवालियापन और एक साल से ज़्यादा समय तक निष्क्रिय रहने और अन्य कारणों के चलते 28,000 से ज़्यादा स्टार्टअप बंद हो चुके हैं. साल 2023 में यह आंकड़ा 15,921 और 2024 में 12,717 रहा था.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, डेटा इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म ट्रैक्सन के अनुसार, इन दो वर्षों में बंद होने वाले भारत के स्टार्टअप की संख्या साल 2019 और 2022 के बीच तीन सालों में बंद होने वाले 2,300 स्टार्टअप से कहीं ज़्यादा है.
इसी तरह, साल 2024 में शुरू किए गए स्टार्टअप्स की संख्या भी घटकर केवल 5,264 रह गई, जबकि 2019 से 2022 के बीच हर साल औसतन 9,600 से अधिक स्टार्टअप्स लॉन्च किए जा रहे थे.
इस साल अब तक सिर्फ़ 125 स्टार्टअप ही शुरू हुए हैं.
सूत्रों के अनुसार, जिन सेक्टर में सबसे ज़्यादा स्टार्टअप्स बंद हुए हैं, उनमें एग्रीटेक, फिनटेक, एडटेक और हेल्थटेक शामिल हैं.
बताया जा रहा है कि इन क्षेत्रों के स्टार्टअप्स के विफल होने की मुख्य वजह शुरुआती दौर में भारी पूंजी निवेश रहा, जिससे नकद खर्च बहुत अधिक हो गया और हर हाल में तेजी से बढ़ने की सोच हावी हो गई. इसके साथ ही ग्राहकों को लंबे समय तक बनाए न रख पाने की समस्या भी रही, जिससे संचालन खर्च और बढ़ गया.
ट्रैक्सन के अनुसार, स्टार्टअप अधिग्रहणों की संख्या साल 2021 में 248 से घटकर पिछले साल 131 रह गई है. अलग-अलग स्टार्टअप को साथ लाने के साथर्क प्रयासों की कमी अधिग्रहण की धीमी गति का कारण हैं. साथ ही इसी वजह से लगातार ऐसे कारोबार बंद भी हो रहे हैं.
इस साल अब तक 259 स्टार्टअप्स बंद हो चुके हैं, विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में यह संख्या और बढ़ सकती है.
Source: The Wire