फतेहपुर ज़िले के ललौली इलाके में स्थित नूरी जामा मस्जिद के एक हिस्से को अवैध अतिक्रमण बताया गया था जिसके ख़िलाफ़ मस्जिद समिति अदालत पहुंची थीं. हालांकि 13 दिसंबर की सुनवाई से पहले ही प्रशासन ने इसके पीछे के हिस्से को ध्वस्त कर दिया.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रशासन ने मंगलवार (10 दिसंबर) को फतेहपुर जिले के ललौली इलाके में स्थित 185 साल पुरानी नूरी जामा मस्जिद के एक हिस्से को अवैध अतिक्रमण बताते हुए ध्वस्त कर दिया.
द टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, प्रशासन की ओर से ये कार्रवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में मस्जिद प्रबंधन की आपत्तियों पर होने वाली सुनवाई से महज तीन दिन पहले की गई. ये मामला फिलहाल अदालत में है और इस पर सुनवाई 13 दिसंबर को सुनवाई होनी है.
मालूम हो कि यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब देशभर की अदालतों में एक दर्जन से अधिक मस्जिदों और दरगाहों को इस आधार पर विस्थापित करने की मांग की गई है कि इन्हें मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद बनाया गया था. इस मुद्दे को लेकर हाल ही में संभल में हिंसा भी देखने को भी मिली, जिसमें मुसलमान समुदाय के कई लोगों की जान चली गई.
हालांकि, पिछले चार महीनों में जामा मस्जिद और फतेहपुर में एक अन्य मस्जिद के ख़िलाफ़ अतिक्रमण के आरोप एक संभावित विवाद के शुरुआत की ओर संकेत देते हैं.
इस मामले पर जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने कहा है कि उसके पास मस्जिद की जमीन पर अपना अधिकार साबित करने वाले दस्तावेज हैं.
इस संबंध में मस्जिद के मुत्तवली मोहम्मद मोइन खान ने अखबार से कहा, ‘मस्जिद का निर्माण 1839 के आसपास स्थानीय ग्रामीणों द्वारा किया गया था, जब यहां कोई सड़क नहीं थी. यह एक सुनसान इलाका था, लेकिन राज्य लोक निर्माण विभाग का अब दावा है कि इसे राजमार्ग पर अतिक्रमण करके बनाया गया था.’
ज्ञात हो कि ये इलाका मुस्लिम बहुल है और इसलिए किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए यहां करीब 100 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी, जिनकी मौजूदगी में तीन बुलडोजरों द्वारा मस्जिद के पिछले हिस्से को लगभग 90 मिनट में ध्वस्त किया गया.
गौरतलब है कि बीते 24 नवंबर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संभल जिले की मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान भड़की हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई थी. स्थानीय अदालत में दावा किया गया है कि मस्जिद को प्राचीन मंदिर की जगह बनाया गया है.
मालूम हो कि विभिन्न मुस्लिम धार्मिक स्थलों से संबंधित ऐसे ही बीस मामले देश भर की अदालतों में दायर किए गए हैं.
नूरी जामा मस्जिद समिति के वकील सैयद अज़ीम-उद-दीन का कहना है कि बांदा-बहराइच राजमार्ग पर स्थित ये मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में है.
उन्होंने कहा, ‘जब हमें पता चला कि राज्य सरकार इसे ध्वस्त करने की तैयारी कर रही है, तो हमने इस कदम पर रोक लगाने के लिए उच्च कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पहले सुनवाई 6 दिसंबर को होनी थी, लेकिन बाद में इसे 13 दिसंबर तक के लिए टाल दिया गया. हालांकि, सरकार ने उससे तीन दिन पहले ही इसके एक हिस्से को ध्वस्त कर दिया.’
इस संबंध में एक पीडब्ल्यूडी इंजीनियर ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर कहा, ‘हमारे पास सड़क को चौड़ा करने का आदेश है और हमने 130 घरों और अन्य प्रतिष्ठानों को नोटिस दिया है. हमारे माप के अनुसार, मस्जिद के पीछे के हिस्से का 150 वर्गफुट क्षेत्र अवैध रूप से बनाया गया था, और इसलिए इसे ध्वस्त कर दिया गया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम जानते हैं कि एक मामला उच्च न्यायालय में लंबित है, लेकिन हमारे पास सड़क निर्माण कार्य में देरी करने के लिए अदालत से कोई आदेश नहीं है.’
ज्ञात हो कि इसी साल सितंबर में एक स्थानीय सिविल अदालत ने कहा था कि नूरी जामा मस्जिद से लगभग 30 किलोमीटर दूर फतेहपुर के मालवा गांव में स्थित मदीना मस्जिद ने ग्राम सभा (पंचायत) की भूमि पर अतिक्रमण किया है और अधिकारियों से इसे हटाने के लिए भी कहा गया था.
विश्व हिंदू परिषद द्वारा मदीना मस्जिद के खिलाफ आंदोलन करने के बाद कुछ हिंदुओं ने सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी. हालांकि, मस्जिद समिति द्वारा सिविल कोर्ट के आदेश को जिला अदालत में चुनौती देने के बाद ये मामला अभी अधर में है.
मदीना मस्जिद प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हैदर अली ने अखबार से कहा, ‘ग्राम पंचायत ने 1976 में मस्जिद के लिए जमीन आवंटित की थी, हमारे पास इसे साबित करने के लिए दस्तावेज़ हैं. इसे राज्य वक्फ बोर्ड के साथ पंजीकृत किया गया है.’
नूरी मस्जिद मामले में ललौली थाने के प्रभारी निरीक्षक वृन्दावन राय ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि इलाके में कानून-व्यवस्था मजबूत बनी हुई है. मस्जिद के आसपास लगभग 200 मीटर के दायरे में सभी दुकानें बंद कर दी गई हैं और 300 मीटर के दायरे को सील कर दिया गया है.
Source: The Wire