हमारे गृहमंत्री जी ने संसद में स्वर्ग प्राप्ति का फार्मूला बता दिया है। जीते जी भले ही नर्क में बीते पर मरने के बाद स्वर्ग मिले। 

रविवार की सुबह हो गई पर कुछ लिखा ही नहीं गया। जो लिख रहा था वो आउटडेटेड हो गया। लगता है जैसे पुराने जमाने की बात हो गई हो। देश इतनी तेजी से बदल रहा है कि बस पूछो ही मत। जो कल तक नया होता है, आज पुराना हो जाता है।

मस्जिदों को खोदना अभी फिलहाल थोड़ा पुराना हो गया है। अभी कुछ समय के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उस पर रोक भी लगा दी है। पर चिंता मत करो, यह रोक हमेशा के लिए नहीं है। परमानेंट नहीं, टेम्प्रेरी है। कुछ दिनों में कोई जज आएगा, उसका दिमाग़ कुलबुलाएगा, ऊपर से इशारा आएगा, और वह खुदाई शुरू करवा देगा।

वैसे खुदाई की जरूरत है और बहुत अधिक जरूरत है। और पूरे देश में है। क्या पता सरकार जी के जुमले और वायदे कहीं दबे मिल जाएं। कहीं पंद्रह लाख वाला जुमला दबा मिल जाये। कहीं महंगाई से लड़ने के औज़ार दबे मिल जाएं। कहीं हर साल की दो करोड़, मतलब पूरी बाइस करोड़ नौकरियां दबी मिल जाएं। और हाँ! यह खुदाई की जा सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है।

एक और खुदाई बहुत जरूरी है। उसके लिए तो हो सकता है पृथ्वी के गर्भ तक खुदाई करनी पड़े। पाताल लोक तक खोदना पड़े। उस खुदाई के लिए नए नए औज़ारों की जरूरत पड़ेगी तभी वह खुदाई हो पायेगी। जेबीसी, सुरंग बनाने की आधुनिक मशीनें, ड्रिल करने की एडवांस तकनीक, सबकी जरूरत पड़ेगी उस खुदाई के लिए। फिर भी पता नहीं वह मिल पायेगा या नहीं।

मैं किसी दबे पड़े मंदिर की बात नहीं कर रहा हूँ, न ही बात कर रहा हूँ भगवान की किसी मूर्ति की। मैं तो बात कर रहा हूँ हमारे अपने रुपए की। रुपया जो हमारे देश की, भारत सरकार की मुद्रा है। वही रुपया सरकार जी के काल में इतना नीचे गिर गया है, इतना गर्त में पहुंच गया है कि अब तो लगता है, पाताल लोक में ही मिलेगा। और वह भी तब जब हम वहाँ तक खुदाई कर पाएं। नहीं तो हमारा रुपया अब पाताल लोक के निवासियों के ही काम आएगा।

लेटेस्ट तो यह है कि हमारे गृहमंत्री जी ने संसद में स्वर्ग प्राप्ति का फार्मूला बता दिया है। जीते जी भले ही नर्क में बीते पर मरने के बाद स्वर्ग मिले, मंत्री जी ने वह रास्ता बता दिया है। वह भी एक जन्म का नहीं, सात जन्मों का। मंत्री जी ने कहा कि जितनी बार अम्बेडकर का नाम ले रहे हो, उतनी बार भगवान का नाम लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।

मंत्री जी को अम्बेडकर का नाम लेने में परहेज है। जब वे अम्बेडकर, अम्बेडकर, अम्बेडकर… बोल रहे थे तो लग तो ऐसा रहा था जैसे कि वे…। चलो छोड़ो जी। गृहमंत्री सवर्ण हैं। आरएसएस के हैं। वे अम्बेडकर को नहीं समझेंगे। जब अम्बेडकर संविधान लिख रहे थे, वे मनुस्मृति थामे बैठे थे। जब अम्बेडकर दलितों को, अस्पर्शयों को जीते जी नर्क से निकलने की कोशिश कर रहे थे तब वे मरने के बाद का स्वर्ग दिखा रहे थे। जब अम्बेडकर बराबरी की किताब लिख रहे थे तो वे गैर बराबरी की बातें कर रहे थे।

और उससे भी लेटेस्ट यह है कि नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। किसी ने गिरने का नाटक किया तो किसी ने चक्कर आने का बहाना बनाया। और एफआईआर नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ दर्ज हो गई। सरकार जी के दोस्त का नाम लेने पर किसी को कितना सताओगे मेरे भाई। अरे साब! दम है तो अमेरिका के खिलाफ एफआईआर दर्ज करो। उसने भी तो अडानी का नाम लिया है।

लेटेस्ट तो लिखते लिखते, छपते छपते पुराना हो सकता है। बस किसी को गाल बजाने की जरूरत है, वही लेटेस्ट हो जायेगा। और आज की सरकार में उसकी कमी थोड़ी ना है।

Source: News Click