तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन को वापस लेने के समय 2 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ केंद्र द्वारा किए गए समझौतों को तुरंत लागू करने की मांग के साथ 21 फरवरी को प्रदर्शन किया जाएगा. संगठन ने चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को किसानों की समस्याओं से जोड़ते हुए इसके माध्यम से भ्रष्टाचार को वैध बनाने के लिए मोदी सरकार की निंदा की.

 

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार (18 फरवरी) को फैसला किया कि वह 21 फरवरी को सभी एनडीए सांसदों के घरों के सामने विरोध प्रदर्शन करेगा.

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को वापस लेने के समय 2 दिसंबर 2021 को किसान मोर्चा के साथ केंद्र सरकार द्वारा किए गए समझौतों को तुरंत लागू करने की मांग के साथ 21 फरवरी को ये प्रदर्शन किए जाएंगे.

पंजाब में, जहां संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेतृत्व में किसान दिल्ली की ओर रैली कर रहे हैं, एसकेएम एनडीए खेमे से संबंधित सांसदों और विधायकों के खिलाफ दिन-रात बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेगा.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों के प्रमुख मांगों में एमएस स्वामीनाथन समिति द्वारा अनुशंसित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी लागू करना, व्यापक ऋण माफी, बिजली का निजीकरण न हो, लखीमपुर खीरी घटना में साजिशकर्ता के रूप में कथित भूमिका के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और मुकदमा चलाना और पंजाब सीमा पर किसानों के दमन को रोकना शामिल हैं.

चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को किसानों की समस्याओं से जोड़ते हुए एसकेएम ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से भ्रष्टाचार को वैध बनाने और पार्टी फंड के रूप में हजारों करोड़ रुपये जमा करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की निंदा की.

चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को किसानों की समस्याओं से जोड़ते हुए एसकेएम ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से भ्रष्टाचार को वैध बनाने और पार्टी फंड के रूप में हजारों करोड़ रुपये जमा करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की निंदा की.

एसकेएम ने आरोप लगाया कि कॉरपोरेट समर्थक कृषि कानून, श्रम संहिता, बिजली अधिनियम संशोधन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (जिसमें बीमा कंपनियों ने किसानों की कीमत पर 57,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है), प्री-पेड स्मार्ट मीटर, लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की बिक्री, हवाई अड्डों और बंदरगाहों का निजीकरण और ऐसे कई कानून और नीतियां सभी उसके कॉरपोरेट साथियों को लौटाए गए एहसान हैं.

किसान मोर्चा ने कहा, ‘भाजपा ने भ्रष्टाचार को वैध बनाकर हजारों करोड़ रुपये जमा किए हैं, इसे लोकतांत्रिक रूप से चुनी गईं सरकारों को गिराने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर प्रचार के माध्यम से चुनावों को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किया है, जिसकी तुलना किसी अन्य राजनीतिक दल से करना असंभव है.’

स्थिति का जायजा लेने और चल रहे संघर्षों को तेज करने के लिए भविष्य की कार्ययोजना तय करने के लिए एसकेएम राष्ट्रीय समन्वय समिति और आम सभा 21 और 22 फरवरी को बैठक करेगी.

स्थिति का जायजा लेने और चल रहे संघर्षों को तेज करने के लिए भविष्य की कार्ययोजना तय करने के लिए एसकेएम राष्ट्रीय समन्वय समिति और आम सभा 21 और 22 फरवरी को बैठक करेगी.

एक अन्य बयान में संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि केंद्र केवल 23 फसलों के लिए एमएसपी प्रदान करता है और इस कीमत पर खरीद का आश्वासन नहीं देता है.

मोर्चा ने आगे कहा, ‘इसका परिणाम यह है कि धान का एमएसपी 2,183 रुपये प्रति क्विंटल है, हालांकि इसे बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापारियों और उनके बिचौलियों द्वारा 1,200-1400 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम कीमत पर खरीदा जाता है. इसी तरह 2023-24 के लिए गेहूं का एमएसपी 2,125 रुपये है, लेकिन बिना सरकारी खरीद वाले क्षेत्रों में इसे 1,800 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा जा रहा है.’

Source: The Wire