बीते दिनों पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि उनके शासनकाल में पिछली सरकारों से ज़्यादा नौकरियां दी गई हैं. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वे किन आंकड़ों के आधार पर यह बात कह रहे हैं क्योंकि विभिन्न सर्वेक्षण और रिपोर्ट उनके दावे के उलट तस्वीर दिखाते हैं.

 

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई (प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया) को दिए साक्षात्कार में दावा किया है कि उनकी सरकार ने पिछली सरकारों की तुलना में युवाओं के लिए अधिक अवसर पैदा किए हैं. यह साक्षात्कार 20 मई को प्रकाशित हुआ था.

लोग क्या सोचते हैं: हाल में अपने सर्वे के लिए लोकनीति-सीएसडीएस ने जिन लोगों का बातचीत की, उनमें से ज्यादातर बेरोजगारी और महंगाई को लेकर चिंतित मिले. लोगों से कहा गया कि वह आज की तुलना पिछले पांच सालों से करें और बताएं कि नौकरी पाना ज्यादा आसान है या मुश्किल? 62% लोगों का जवाब था- नौकरी पाना मुश्किल हो गया है.

नौकरियों का ग्राफ क्या कहता है:

तथ्य क्या हैं:

1. भारत में बेरोजगारी दर 8%

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के भारतीयों के बीच बेरोजगारी दर वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 8% हो गई, जो पिछले दो वर्षों में 7.5% और 7.7% थी. 2020-21 में महामारी के दौरान बेरोजगारी दर 8% से अधिक हो गई थी.

सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार, सक्रिय रूप से रोजगार तलाश रहे बेरोजगार लोगों की संख्या लगभग तीन करोड़ 70 लाख पहुंच गई है.

इसके अलावा श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) भी घटी है. यह दर कामकाजी आबादी के उस वर्ग (16 से 64 आयु) को परिभाषित करता है जो वर्तमान में कार्यरत है या रोजगार की तलाश में है. श्रम भागीदारी दर अब तक कोविड-19 के पहले के स्तर पर नहीं पहुंच पायी है.

2016-17 में भारत का एलपीआर 46.2% था. अगले तीन वर्षों में यह लगभग 42-44% तक गिर गया. 2020-21 में यह गिरकर 40% से नीचे आ गया. वित्त वर्ष 2023-24 में एलपीआर 40.4% था, जो 2016-17 की तुलना में लगभग 5.8 प्रतिशत कम है.

2. 2019 में 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी बेरोजगारी

2019 में श्रम मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1% थी. इसी रिपोर्ट की मदद से 2019 के आम चुनाव से पहले यह दावा किया गया था कि बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है.

दरअसल, जुलाई 2017 से जून 2018 तक की आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की रिपोर्ट को मोदी सरकार ने रोक दिया था. इसके विरोध में दो अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, रिपोर्ट मीडिया में लीक हो गई. फिर पीएलएफएस की ताजा रिपोर्ट की तुलना पिछले रिपोर्ट्स से की गई और निष्कर्ष निकाला गया कि बेरोजगारी 45 सालों में उच्चतम स्तर पर है.

3. भारत में युवा बेरोजगारी दर दक्षिण एशियाई पड़ोसियों की तुलना में थी अधिक

विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में पाया गया कि 2022 में भारत की युवा बेरोजगारी दर 23.22% थी. यह आंकड़ा पड़ोसी देश पाकिस्तान (11.3%), बांग्लादेश (12.9%) और भूटान (14.4%) की तुलना में अधिक है. उसी वर्ष चीन में बेरोजगारी दर 13.2% थी.

4. भारत के बेरोजगारों में शिक्षित युवाओं की संख्या बढ़ी

साल 2022 में भारत की कुल बेरोजगारी में युवाओं की हिस्सेदारी 82.9% थी. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में बेरोजगारी की समस्या युवाओं, विशेषकर शहरी क्षेत्रों के शिक्षित पुरुषों और महिलाओं के बीच तेजी से बढ़ी है. सभी बेरोजगारों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी 2000 में 54.2% थी, जो 2022 में 11.5% बढ़कर 65.7% हो गई. शिक्षित (माध्यमिक या उच्चतर स्तर) बेरोजगार युवाओं में महिलाओं (76.7%) की हिस्सेदारी पुरुषों (62.2%) की तुलना में अधिक है.

5. केंद्र की नौकरियों में करीब 10 लाख पद खाली

जुलाई 2023 में संसद के मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया था कि उसके मंत्रालयों और विभागों में 964,359 पद खाली हैं. यह 1 मार्च, 2023 तक का आंकड़ा है.

6. आईटी सेक्टर में ख़त्म होती नौकरियां

रिक्रूटमेंट फर्म फाउंडिट के डेटा से पता चलता है कि ‘हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर आईटी दोनों के लिए ऑनलाइन हायरिंग गतिविधियों में साल 2022 की तुलना में पिछले साल 18%  की गिरावट दर्ज की गई है.’