पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण के मतदान से पहले जारी एक पत्र में कहा कि नरेंद्र मोदी पहले पीएम हैं जिन्होंने सार्वजनिक चर्चा की गरिमा को कम किया है. इससे पहले किसी प्रधानमंत्री ने किसी ख़ास वर्ग या विपक्ष को निशाना बनाने के लिए इतने नफ़रत भरे और असभ्य शब्द नहीं कहे.

 

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार (30 मई) को पंजाब के मतदाताओं से ‘विकास और समावेशी प्रगति’ के लिए वोट करने की अपील की. पंजाब में लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में एक जून को मतदान होना है.

सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘नफरत फैलाने वाले भाषण’ देने का आरोप लगाया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक लिखित अपील में पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पंजाब और पंजाबी योद्धा हैं. हम अपनी त्याग की भावना के लिए जाने जाते हैं. हमारा अदम्य साहस, समावेशिता, सद्भाव, सौहार्द और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास ही हमारे महान राष्ट्र की रक्षा कर सकता है.’

प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, ‘मैं इस चुनाव अभियान की राजनीतिक चर्चाओं पर बारीकी से नजर रख रहा हूं. मोदी जी ने सबसे ज्यादा नफरत फैलाने वाले भाषण दिए हैं. मोदी जी पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने सार्वजनिक चर्चा की गरिमा को कम किया है और इस तरह प्रधानमंत्री के पद की गरिमा को भी कम किया है. इससे पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने समाज के किसी ख़ास वर्ग या विपक्ष को निशाना बनाने के लिए इतने नफरत भरे, असंसदीय और असभ्य शब्द नहीं कहे हैं.’

पूर्व पीएम ने कहा, ‘उन्होंने (मोदी) मेरे नाम पर कुछ गलत बयान भी दिए. मैंने अपने जीवन में कभी भी एक समुदाय को दूसरे से अलग नहीं किया. ऐसा केवल भाजपा ही करती है. भारत के लोग यह सब देख रहे हैं. अमानवीयकरण की यह कहानी अब अपने चरम पर पहुंच गई है. अब यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने प्यारे देश को इन फूट डालने वाली ताकतों से बचाएं.’

सिंह ने मतदाताओं से ‘भारत में प्रेम, शांति, भाईचारे और सद्भाव को मौका देने’ का आग्रह किया.

मनमोहन सिंह ने कहा, ‘बीते दस सालों में भाजपा सरकार ने पंजाब, पंजाबियों और पंजाबियत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. 750 किसान, जिनमें से ज्यादातर पंजाब के थे, दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक लगातार इंतज़ार करते हुए शहीद हो गए. सिर्फ लाठी और रबर की गोली से ही नहीं, प्रधानमंत्री ने संसद के पटल पर किसानों को आंदोलनजीवी और परजीवी कहकर मौखिक रूप से भी हमला किया. किसानों की एकमात्र मांग थी कि उनसे सलाह किए बिना उन पर थोपे गए तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाएं.’

प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘भले ही मेरे कार्यकाल के अधिकांश समय में राज्य में अकाली-भाजपा सरकार थी, लेकिन कोऑपरेटिव फेडरलिज्म की भावना का पालन करते हुए हमने पंजाब के लोगों को संसाधनों का उचित हिस्सा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. दूसरी ओर पांच साल तक जब कांग्रेस पार्टी (पंजाब में) सत्ता में थी, केंद्र की भाजपा सरकार लगातार पंजाब को फंड देने से इनकार करती रही.’

 

Source: The Wire