नया साल: सिर्फ़ कैलेंडर के बदलने से नहीं बदलेंगे हालात

सभी शंकाएं, कुशंकाएं, आशंकाएं दूर रहें; यक़ीन संभावनाओं में बदलें, उम्मीदें असलियत बनें और वह दुनिया जिसमे रहना अभिशाप सा लगता है,  एक अच्छी दुनिया बने। नववर्ष की शुभकामनाएं और…

देश के वंचितों के लिए कैसा रहा 2024?

देश के वंचितों के लिए यह वर्ष मिले-जुले असर वाला रहा. वंचितों के सामाजिक-सांस्‍कृतिक आंदोलनों का सिमटता दायरा चिंताजनक है, लोकतंत्र को समावेशी और मजबूत बनाने के लिए इनका विस्‍तार…

मुद्दा: जनता को अधिकारहीन करने का खेल

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक सरकारों द्वारा किए जा रहे नकदी हस्तांतरण और मनरेगा के बुनियादी फ़र्क़ को समझा रहे हैं कि किस तरह एक योजना कृपा का मामला है और…

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा का आंबेडकर जाप और राहुल का नया नामकरण

अपने साप्ताहिक कॉलम में वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन संसद में हुए आंबेडकर विवाद, राहुल पर बीजेपी के नए हमले समेत देश के अलग-अलग राज्यों की राजनीति पर बात कर रहे…

सुलगता मणिपुर, कराहता फ़िलिस्तीन और धर्मांध राजनीति: कहां हुआ न्याय इस बरस

यह साल चुनावों का साल रहा, लेकिन चुनावी रैलियों से मणिपुर की हिंसा गायब रही. बस्तर में मुठभेड़ होते रहे लेकिन दिल्ली बैठी आवाज़ें ख़ामोश रहीं. अन्य देशों में भी…

‘ईश्‍वर अल्‍लाह तेरो नाम’: ताकि बची रहे देश की समावेशी और साझा संस्‍कृति

पटना में इस भजन पर हंगामा करने जैसा कुछ नहीं था पर वास्‍तविकता यही है कि हंगामा हुआ। लोकगायिका को इस भजन के लिए माफ़ी मांगनी पड़ी। हाल ही में…

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