गुजरात कांग्रेस के मुताबिक यह भर्ती घोटाले सरकारी सरंक्षण के बगैर संभव नहीं हैं. भाजपा के प्रमुख नेता और नरेंद्र मोदी के करीबी असित वोरा को एक चर्चित घोटाले के बाद चयन बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. इसी तरह जो प्रिंटिंग प्रेस पेपर लीक के मसले पर सुर्ख़ियों में थी, उसने कभी मोदी की किताब का मुद्रण किया था.

 

नई दिल्ली: भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में मोदी की एक गारंटी कहती है कि ‘हमने सरकारी भर्ती परीक्षाओं में अनियमितता को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया है. अब, हम इस कानून को सख्ती से लागू करके, युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को कड़ी सजा देंगे.’ इसके ठीक पहले फरवरी 2024 में केंद्र सरकार ने ‘सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024’ पास किया था.

यह कानून युवाओं के साथ देश भर में हो रहे फ़रेब का आईना है. पेपर लीक के कारण परीक्षा ही निरस्त नहीं होतीं, बेशुमार उम्मीदवारों की उम्मीदें भी टूट जाती हैं. इंडियन एक्सप्रेस की हालिया रिपोर्ट कहती है कि पिछले पांच वर्षों में पेपर लीक के कारण 15 राज्यों में 41 भर्ती परीक्षाएं रद्द हुईं, जिससे 1.4 करोड़ आवेदकों को गहरा झटका लगा.

उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे हिंदी-भाषी राज्यों में यह घटनाएं जन-स्मृति का हिस्सा बनी हुई हैं, लेकिन भाजपा के ‘मॉडल’ राज्य गुजरात में स्थिति उतनी ही बदतर है. द वायर की यह सीरीज सरकारी भर्तियों में हो रहे घोटालों पर केंद्रित है. पहली कड़ी गुजरात से.

11 पुलिस केस, 201 आरोपी, चयन बोर्ड अध्यक्ष का इस्तीफ़ा  

भाजपा-शासित गुजरात ने फरवरी 2023 में सरकारी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक के लिए एक विधेयक पारित किया था. यह कानून पेपर लीक के ‘संगठित अपराध’ के लिए अधिकतम 10 साल की कैद और कम से कम 1 करोड़ रुपये जुर्माने का प्रावधान करता है. सदन में विधेयक पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने स्वीकार किया था कि राज्य में पिछले 11 वर्षों में पेपर लीक के 11 प्रकरण हुए हैं. इसके परिणामस्वरूप  201 आरोपियों के खिलाफ 11 मामले दर्ज हुए और 10 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया.

सांघवी ने यह नहीं बताया कि गुजरात में पेपर लीक की जड़ें बहुत गहरी हैं और भाजपा शासन से जुड़ी हैं. ये कड़ियां दो प्रमुख जगहों पर आकर मिलती हैं-  गुजरात अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (जीएसएसएसबी), वह संस्था जो तमाम सरकारी भर्तियों के इम्तिहान करवाती है, और अहमदाबाद की सूर्या ऑफसेट प्रिंटिंग प्रेस जहां से कई पेपर लीक होने का आरोप हैं.

2021 का हेड क्लर्क पेपर लीक प्रकरण पिछले दशक में गुजरात का सबसे कुख्यात भर्ती घोटाला है. इसने सत्ता को हिला दिया और जीएसएसएसबी के तत्कालीन अध्यक्ष और भाजपा नेता असित वोरा को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन के बाद इस्तीफ़ा देने पर बाध्य कर दिया था.

क्या था मामला?

Source: The Wire