
भारतीय रेलवे के टिकटों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को लेकर राजनीतिक विवाद छिड़ गया है. विपक्षी दलों ने इसे चुनावी लाभ के लिए सैन्य अभियानों का घोर राजनीतिकरण बताते हुए इसकी निंदा की है.
नई दिल्ली: भारतीय रेलवे के टिकटों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को लेकर राजनीतिक विवाद छिड़ गया है. ऐसा लगता है कि कम से कम सरकारी विज्ञापन के लिए एक ‘न्यू नार्मल’ स्थापित हो गया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर को बढ़ावा देने का एक नया तरीका खोज निकाला है.
इस नए प्रचार से असंतुष्ट विपक्षी दलों ने इसे चुनावी लाभ के लिए सैन्य अभियानों का घोर राजनीतिकरण बताते हुए इसकी निंदा की है. कई सोशल मीडिया यूजर्स ने भी इसकी आलोचना की.
सोशल मीडिया पर साझा हो रहे एक कथित विज्ञापन में नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ लिखा है – ‘ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है.’
विपक्ष इस विशेष प्रकार की देशभक्ति को स्वीकार नहीं कर रहा है. एआईसीसी सदस्य और कांग्रेस के लोकसभा सचेतक (whip) मणिकम टैगोर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर चुटकी लेते हुए कहा, ‘#ऑपरेशन सिंदूर अब शैम्पू की तरह बेचा जा रहा है – रेलवे टिकट पर छपा है, किसी उत्पाद की तरह विज्ञापित किया जा रहा है.’
उन्होंने आगे पूछा, ‘जबकि ट्रंप ने दावा किया है कि उन्होंने 4 बार मध्यस्थता की और #युद्धविराम हासिल किया गया, मोदी एक बार भी इससे इनकार नहीं किया है. कोई इनकार नहीं, सिर्फ मार्केटिंग.’
बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली ने प्रधानमंत्री पर ‘युद्ध और शहादत को अवसर’ के रूप में देखने का आरोप लगाया और सैनिकों की तुलना में मोदी की छवि को बढ़ावा देने को ‘अहंकार की पराकाष्ठा’ बताया.
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युद्ध और शहादत को भी मौके की तरह देखते हैं. मासूम जनता का खून बहा जवानों ने जान की परवाह किए बिना पाकिस्तान को जवाब दिया और इन्होंने एक नया पोस्टर लॉन्च कर दिया. जो शहीद हुए उनका न कोई नाम, न चेहरा अपने लिए बस तस्वीर और प्रचार आत्ममुग्धता की हद होती है?’
‘सेना की वीरता को उत्पाद की तरह बेचने’ का आरोप
वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ के सलाहकार पीयूष बबेले, जिन्होंने इस टिकट को पोस्ट किया था, ने सरकार पर ‘विज्ञापन-ग्रस्त’ होने और विशेष रूप से बिहार में मतदाताओं को लुभाने के लिए ‘सेना की वीरता को एक उत्पाद की तरह बेचने’ का आरोप लगाया.
बबेले ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘यह इस बात का उदाहरण है कि मोदी सरकार किस कदर विज्ञापनजीवी है. रेलवे टिकट पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को मोदी विज्ञापन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. ये सेना के पराक्रम को भी प्रोडक्ट की तरह बेच रहे हैं. इनसे देशभक्ति नहीं सौदेबाजी ही हो सकती है.’
भारतीय रेलवे ने भी इस पर गंभीरता से प्रतिक्रिया दी. अधिकारी दिलीप कुमार ने इंडिया टुडे को बताया कि रेलवे को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के लिए सशस्त्र बलों पर गर्व है. उन्होंने विज्ञापनों को एक श्रद्धांजलि और संदेश फैलाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा बताया.
इस बीच, आईआरसीटीसी के पीआरओ वीके भट्टी ने दैनिक भास्कर अंग्रेजी को बताया कि टिकटों पर छपा संदेश कोई विज्ञापन नहीं है, बल्कि जनता के बीच साझा किया जा रहा एक संदेश है.
उल्लेखनीय है कि यह ताजा प्रचार अभियान भाजपा द्वारा हाल ही में शुरू की गई ‘तिरंगा यात्रा’ के बाद आया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाली एक और भव्य यात्रा है, विशेष रूप से बिहार जैसे राज्यों में जहां आगामी चुनाव होने वाले हैं.
Source: The Wire