
कर्नाटक में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान भाजपा नेता एन. रविकुमार ने डिप्टी कमिश्नर फौजिया तरन्नुम पर कांग्रेस के आदेश पर काम करने का आरोप लगाया और कहा था कि वह पाकिस्तान से आई हुई लगती हैं. अब हाईकोर्ट ने उनसे डिप्टी कमिश्नर से सीधे माफ़ी मांगने के लिए कहा है.
नई दिल्ली: कर्नाटक हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एमएलसी एन. रविकुमार से कहा है कि वह आईएएस अधिकारी के खिलाफ की गई ‘पाकिस्तान’ संबंधी टिप्पणी के लिए कलबुर्गी की डिप्टी कमिश्नर फौजिया तरन्नुम से सीधे माफ़ी मांगें.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, रविकुमार की याचिका, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी, पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूरज गोविंदराज की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने गुरुवार (29 मई) को मौखिक रूप से एमएलसी से तरन्नुम से सीधे माफी मांगने को कहा.
ज्ञात हो कि 24 मई को भाजपा के विरोध प्रदर्शन के दौरान रविकुमार ने आईएएस अधिकारी तरन्नुम पर कांग्रेस पार्टी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ‘वह पाकिस्तान से आई हुई लगती हैं.’ उनके बयान के बाद मुस्लिम महिलाओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने व्यापक आक्रोश जताया और विरोध प्रदर्शन किया, जिन्होंने कर्नाटक पुलिस से भाजपा नेता के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया.
उनके बयान के बाद दत्तात्रेय इक्कलाखी नामक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर रविकुमार पर मुसलमानों के खिलाफ नफरत भड़काने और पुलिस अधिकारियों को गुलाम कहकर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.
उन पर अनुसूचित जाति के लोगों और जिला प्रभारी मंत्री प्रियांक खरगे को धमकाने और अपमानित करने का भी आरोप लगाया गया था.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, रविकुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, ‘ये बयान देने लायक नहीं हैं. आपने देखा है कि मध्य प्रदेश और सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ, एक मौजूदा मंत्री के साथ, आप अलग नहीं हैं, आप इस तरह के बयान नहीं दे सकते.’
रविकुमार के वकील ने कहा कि माफ़ी मांगी गई है, जिस पर अदालत ने कहा, ‘बयान देने के बाद माफ़ी व्यक्ति को स्वीकार करनी होगी. आप संबंधित महिला से माफ़ी मांगें और उन्हें स्वीकार करने दें और इसे रिकॉर्ड पर दर्ज करें, और फिर हम तब तक इस पर विचार नहीं करेंगे.’
अदालत ने कहा, ‘यह पूरी तरह से अनावश्यक है. कृपया उनसे माफ़ी मांगें और उन्हें इसे स्वीकार करने दें और इसे रिकॉर्ड पर दर्ज करने दें और फिर हम इस पर विचार कर सकते हैं, तब तक यह मुश्किल है.’