पुणे में इंद्रायणी नदी पर स्थित पुल की हालत जीर्ण-शीर्ण थी और गत कुछ सालों से पुल का संरचनात्मक ऑडिट नहीं हुआ था, जबकि स्थानीय लोगों ने दो साल पहले लोक निर्माण विभाग और ग्राम पंचायत से पुल की मरम्मत और पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग की थी.

 

नई दिल्ली: रविवार (15 जून) को पुणे के पास एक पुल ढहने से कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गए.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि करीब 15 घंटे तक चले बचाव अभियान का सोमवार सुबह समाप्त हो गया. अधिकारियों ने बताया कि कुल 55 लोगों को बचाया गया. चार मृतकों में से तीन लोगों की पहचान हो गई है.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को बताया था कि पुल ढहने से दो लोगों की मौत हो गई और 32 लोग घायल हो गए – जिनमें से छह की हालत गंभीर है. यह पुल पुणे से लगभग 30 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में कुंदमाला में इंद्रायणी नदी पर स्थित था.

फडणवीस ने कहा कि घटनास्थल पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की टीमें तैनात की गई हैं, उन्होंने कहा कि छह लोगों को बचा लिया गया है.

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि ’25 से 30 पर्यटकों’ के बह जाने की आशंका है.

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इस पुल की हालत जीर्ण-शीर्ण थी.

15 जून 2025 को पुणे जिले में इंद्रायणी नदी पर बने लोहे के पुल के ढह जाने के बाद बचाव कार्य. (फोटो: पीटीआई)

समाचार एजेंसी पीटीआई ने पुणे के जिला मजिस्ट्रेट जितेंद्र डूडी के हवाले से बताया कि 38 लोगों को बचा लिया गया है, जिनमें से 30 अस्पताल में हैं. द हिंदू के अनुसार यह घटना दोपहर करीब 3 बजे हुई.

अखबार ने एक अधिकारी के हवाले से बताया कि पुल के ढहने के समय पर्यटक और बाइक सवार लोग इसका इस्तेमाल कर रहे थे और पिछले कुछ दिनों में इसके आसपास के इलाके में भारी बारिश हुई थी.

फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देगी और घायलों के इलाज का खर्च उठाएगी.

पवार ने कहा, ‘इस दुर्घटना की गहन जांच करने के लिए प्रशासन को निर्देश जारी किए गए हैं और मैं आश्वासन देता हूं कि रखरखाव के संबंध में अगर कोई लापरवाही पाई जाती है तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.’

लंबे समय से पुल का संरचनात्मक ऑडिट नहीं हुआ था

एनडीटीवी के अनुसार, पुल 470 फीट लंबा है, जिसका पहला हिस्सा लगभग 70 से 80 फीट की पत्थर की ढलान वाला है. फिर इसे दो 100 फीट लंबे लोहे के खंडों और 200 फीट लंबे सीमेंट के खंड से जोड़ा गया है. पुल की चौड़ाई सिर्फ़ चार फीट है.

अधिकारियों के अनुसार, पुल इतना संकरा है कि एक बार में सिर्फ़ एक बाइक और दो लोग ही इसे पार कर सकते हैं. हालांकि, त्रासदी के समय पुल पर भारी भीड़ के अलावा लगभग सात से आठ बाइकें थीं.

पिछले कुछ सालों में अधिकारियों ने पुल का संरचनात्मक ऑडिट नहीं कराया है, जबकि स्थानीय लोगों ने दो साल पहले लोक निर्माण विभाग और ग्राम पंचायत को पत्र लिखकर पुल की मरम्मत और पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग की थी. इलाके में सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं था. ग्रामीणों की बार-बार मांग के बाद प्रशासन ने हर शनिवार को पुल के पास एक पुलिस अधिकारी की तैनाती शुरू कर दी.

मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत

पिछले साल भाजपा विधायक और मंत्री रवींद्र चव्हाण ने ढह चुके पुल की मरम्मत के लिए 80,000 रुपये स्वीकृत किए थे. हालांकि, मरम्मत कार्य के लिए इस राशि का इस्तेमाल नहीं किया गया.

2017 में पूर्व विधायक दिगंबरदा भेगड़े ने सरकार को पत्र लिखकर नदी पर एक नए पुल के निर्माण की मांग की थी.

 

Source: The Wire