
साल 2027 के जनगणना प्रक्रिया की तैयारी के लिए पहली आधिकारिक बैठक के दौरान गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस बार जनगणना में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट किया जाएगा या नहीं, इसे लेकर केंद्र सरकार ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है.
नई दिल्ली: जनगणना 2027 की तैयारियों को लेकर हाल ही में हुई एक बैठक में गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट किया जाएगा या नहीं, इसको लेकर केंद्र सरकार ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है.
द हिंदू ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि 3 और 4 जुलाई को हुई ‘डायरेक्टर्स ऑफ सेंसस ऑपरेशंस’ की दो दिवसीय बैठक के दौरान जब एनपीआर को लेकर सवाल उठे, तो अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया गया है और समय आने पर राज्यों को इसकी जानकारी दी जाएगी.
इस बैठक को केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और भारत के रजिस्ट्रार जनरल एवं जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण ने संबोधित किया. यह जनगणना प्रक्रिया की तैयारी के लिए पहली आधिकारिक बैठक थी. जनगणना का पहला चरण अप्रैल 2026 में शुरू होगा.
बता दें कि इससे पहले 27 जून 2025 को रजिस्ट्रार जनरल द्वारा सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र में भी एनपीआर का कोई ज़िक्र नहीं था.
क्या है एनपीआर और क्यों है विवादों में?
नागरिकता कानून 1955 के तहत बनाए गए नागरिकता नियम 2003 के अनुसार, एनपीआर, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) तैयार करने की पहली कड़ी है. एनपीआर पहली बार साल 2010 में तैयार किया गया था और साल 2011 की जनगणना के पहले चरण, यानी हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग शेड्यूल के साथ इसका डेटा जुटाया गया था. इसके बाद साल 2015-16 में इसे अपडेट किया गया.
एनपीआर के डेटाबेस में देश के 119 करोड़ ‘सामान्य निवासियों’ की परिवार-वार जानकारी मौजूद है. जबकि जनगणना का डेटा केवल संक्षेप में सार्वजनिक होता है. एनपीआर की व्यक्तिगत और परिवार संबंधी स्तरीय जानकारी केंद्र व राज्य सरकारों और एजेंसियों के साथ साझा की जा सकती है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, 2027 की जनगणना में पहली बार मोबाइल ऐप के जरिए डेटा एकत्र किया जाएगा. इसके लिए जुलाई के आख़िरी सप्ताह से गणनाकारों को प्रशिक्षण दिया जाएगा.
इस बार जाति की गणना भी होगी
यह जनगणना साल 2021 में होनी तय थी, लेकिन 6 साल की देरी से यह अब साल 2027 में कराई जाएगी. 2021 की संभावित जनगणना से पहले 2019 में प्री-टेस्ट किया गया था, जिसमें देशभर में 26 लाख से ज़्यादा लोगों को शामिल किया गया था. उस दौरान घरेलू सुविधाओं, जनसंख्या गणना और एनपीआर से जुड़े सवाल पूछे गए थे.
लेकिन इस बार प्री-टेस्ट में केवल घरेलू सुविधाओं से जुड़े सवाल ही शामिल होंगे. जनसंख्या गणना के दूसरे चरण के सवालों को ट्रायल में नहीं रखा गया है.
2027 के फरवरी में प्रस्तावित दूसरे चरण में जाति से जुड़ा सवाल पूछा जाएगा, और यह आज़ाद भारत की पहली जातिगत जनगणना होगी.
प्री-टेस्ट से पहले उससे जुड़ी प्रश्नावली को जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 17A के तहत राजपत्र में प्रकाशित किया जाना जरूरी है.
विवादित सवालों पर पहले भी हुआ विरोध
2019 के प्री-टेस्ट में एनपीआर से जुड़े सवालों में माता-पिता की जन्म तिथि और जन्म स्थान, पिछला निवास स्थान, मातृभाषा, आधार (वैकल्पिक), वोटर आईडी, मोबाइल नंबर और ड्राइविंग लाइसेंस नंबर शामिल थे.
इन अतिरिक्त सवालों पर विपक्ष शासित राज्यों ने आपत्ति जताई थी. कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए पश्चिम बंगाल और केरल की सरकारों ने 2019 में एनपीआर प्रक्रिया रोकने की मांग की थी.
साल 2019 और 2020 में केंद्र सरकार द्वारा एनपीआर अपडेट किए जाने के फैसले के खिलाफ देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे. लोगों को डर था कि एनपीआर के आधार पर एनआरसी बनाई जाएगी, जिससे करोड़ों भारतीयों की नागरिकता खतरे में पड़ सकती है.
Source: The Wire