देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा शुरू किया गया ‘मजार जिहाद’ अभियान अब प्रसिद्ध आवासीय विद्यालय, द दून स्कूल तक पहुंच गया है, जहां स्कूल परिसर की सीमा के भीतर एक पुरानी ‘मजार’ को राधा धोनी नामक एक ‘हिंदुत्व’ समूह के कहने पर ध्वस्त कर दिया गया, जिसे राजधानी शहर में नफरत फैलाने वाला एक प्रमुख संगठन माना जाता है।
विवाद तब पैदा हुआ जब सनातन संस्था की धोनी, जो शहर में मुस्लिम रेहड़ीवालों (फेरीवालों) और दुकानदारों को निशाना बनाने में सबसे आगे रही हैं, ने एक वीडियो साझा किया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूल की चारदीवारी के भीतर एक नया ‘मज़ार’ बनाया जा रहा है। रिपोर्ट्स में आरोप लगाया गया कि उनके समर्थकों ने स्कूल में जाकर ‘मज़ार’ को ध्वस्त कर दिया है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह किसने किया और स्कूल के परिसर में ‘मज़ार’ को कैसे ध्वस्त कर दिया गया।
स्कूल प्रशासन ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है और पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है। इस बीच, चार से पांच लोगों के एक समूह द्वारा ‘मज़ार’ को ध्वस्त करने का कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया है।
देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट सविन बंसल ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि घटना 13 नवंबर की है और प्रशासन की ओर से ध्वस्तीकरण का आदेश जारी नहीं किया गया था। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि उक्त मजार से जुड़े तथ्यों की पुष्टि के लिए एक प्रशासनिक टीम भेजी गई थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने मामले पर रिपोर्ट मांगी है।
हालांकि, देहरादून में किसी को नहीं पता कि स्कूल परिसर में प्रवेश करने के बाद किसने ‘मजार’ को तोड़ा, जो कि अच्छी तरह से संरक्षित है क्योंकि वहां प्रभावशाली राजनेताओं और लोगों के बच्चे पढ़ते हैं, इसलिए स्कूल की सुरक्षा को लेकर व्यापक चिंता रहती है।
स्कूल के छात्रों के अभिभावकों को दिलासा दिलाने के लिए स्कूल के हेडमास्टर जगप्रीत सिंह ने पत्र में लिखा: “हमारे संज्ञान में आया है कि मीडिया के कुछ वर्गों में स्कूल परिसर में उल्लंघन और स्कूल परिसर के भीतर एक ढांचे के ध्वस्त होने की खबरें चल रही हैं।
ये रिपोर्ट गलत और भ्रामक हैं। जैसा कि आप जानते हैं, चकराता रोड के किनारे स्कूल की चारदीवारी का पुनर्निर्माण लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा किया जा रहा है, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा सड़क विस्तारीकरण कार्य चल रहा है। उक्त कार्य पीडब्ल्यूडी के एक ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है।
हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि ठेकेदार ने अपनी मर्जी से और स्कूल या पीडब्ल्यूडी से इज़ाजत लिए बिना एक अनधिकृत ढांचा खड़ा किया था और राज्य के स्थानीय प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद इसे तुरंत हटा दिया गया था। पीडब्ल्यूडी का ध्यान उक्त मामले की ओर आकर्षित करने पर, उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप किया और स्कूल को लिखित माफ़ी भी भेजी है।
स्कूल प्रबंधन को इस बारे में अच्छी तरह से पता था और वह इस मामले में अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा था। कृपया आश्वस्त रहें कि हमारी सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई है और परिसर सभी के लिए एक सुरक्षित स्थान है।
स्कूल के छात्रों और कर्मचारियों की सुरक्षा और कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। स्कूल की दिनचर्या तय कार्यक्रम के अनुसार चल रही है और छात्र वर्तमान में इम्तिहान दे रहे हैं। टर्म एंड इवेंट्स और सर्दियों की छुट्टियां भी जल्द होने वाली है। जब तक हमारी दोबारा आपसे बात हो, तब तक के लिए हम आपको शुभकामनाएं देते हैं।”
दिलचस्प बात यह है कि हेडमास्टर भी हिंदुत्ववादी ताकतों की बात का समर्थन करते हुए नज़र आए, जिसमें कहा गया कि “पीडब्ल्यूडी ठेकेदार ने अपनी मर्जी से ढांचा खड़ा किया इसमें स्कूल या पीडब्ल्यूडी की रजामंदी नहीं थी और राज्य के स्थानीय प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद इसे तुरंत हटा दिया गया। पीडब्ल्यूडी का ध्यान उक्त मामले की ओर खींचने पर, उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप किया और स्कूल को लिखित माफ़ी भी भेजी।”
दून स्कूल में कथित ‘मजार’ को ध्वस्त करता एक कर्मचारी।
हालांकि, इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि सरकारी एजेंसी पीडब्ल्यूडी ने स्कूल की चारदीवारी के भीतर नई ‘मजार’ क्यों बनाई। कुछ लोगों ने यह मानने से भी इनकार कर दिया कि सरकारी एजेंसी, जो “लंबे समय तक नौकरशाही के कामकाज के बिना एक भी ईंट नहीं लगाने” के लिए जानी जाती है, ने ‘मजार’ बनाई है।
संदेह इस बात पर भी है कि यह घटना मुख्यमंत्री धामी द्वारा कथित ‘मजार जिहाद’ के खिलाफ अभियान शुरू करने के बाद हुई है। उन्होंने राज्य भर में 400 से अधिक ‘मजारों’ को ध्वस्त कर दिया है, जिनमें से कुछ सदियों पुरानी हैं। इन मजारों को अवैध बताया गया है। अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर की जा रही घटनाओं में वृद्धि को इसी अभियान के विस्तार के रूप में देखा जा रहा है।
बुजुर्ग लोग याद करते हैं कि पुलिस चौकी के पीछे एक पुरानी ‘मज़ार’ थी जिसे अब तोड़ दिया गया है। प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (पीटीआई) की रिपोर्ट में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि स्कूल का वह हिस्सा जिस पर ‘मज़ार’ बनी हुई थी, एक समय में उनकी संपत्ति हुआ करती थी।
पीटीआई की रिपोर्ट में, नाम न बताने की शर्त पर वक्फ बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया गया कि, ”हमारे रिकॉर्ड के अनुसार, उक्त क्षेत्र में 57 एकड़ जमीन हमारी है, लेकिन इसकी वर्तमान स्थिति के बारे में पता नहीं है।” उन्होंने आगे बताया कि वक्फ बोर्ड के पास अभी भी स्कूल से सटी जमीन का एक बड़ा हिस्सा है।
इस बीच, देहरादून जिला प्रशासन ने दून स्कूल को नोटिस जारी कर परिसर में बन रहे एक ढांचे के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है, जिसे कथित तौर पर ‘मजार’ बताया गया है।
नोटिस में कहा गया है कि, “जांच के दौरान, एक ‘मज़ार’ का निर्माण कार्य चल रहा था, जिसकी पुष्टि स्कूल के एक कर्मचारी, स्मार्ट सिटी परियोजना कार्यान्वयन इकाई के एक सहायक अभियंता और अन्य मजदूरों द्वारा की गई। मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) के भूमि रिकोर्ड्स में संरचना के लिए कोई मंज़ूरी नहीं दिखाई गई है। संरचना का निर्माण क्यों किया जा रहा था और स्कूल ने अधिकारियों को घटना के बारे में क्यों नहीं बताया, जबकि यह एक बड़ी कानून-व्यवस्था का मुद्दा बन सकता था या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ सकता था?”
स्कूल ने अभी तक जिला अधिकारियों को औपचारिक रूप से कोई जवाब नहीं दिया है। लेकिन सवाल यह है कि कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने और कथित तौर पर स्कूल में घुसने के लिए कौन बाहर से आया था?
हिंदुत्व संगठन के एक अन्य नेता दर्शन भारती, जो मुस्लिम मस्जिदों और मजारों के खिलाफ सबसे आगे रहे हैं और पूरे राज्य में नफरत भरे भाषणों में शामिल रहे हैं, जिसमें 2022 में हरिद्वार धर्म संसद और हाल ही में उत्तरकाशी और केदारनाथ में दिया गया भाषण भी शामिल है, मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की खुलेआम वकालत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री धामी और यहां के अधिकारियों से मुलाकात की थी और उनसे स्कूल की सीमा के भीतर ‘मजार’ को तोड़ने का अनुरोध किया था।
उत्तराखंड रक्षा अभियान के संस्थापक भारती ने पीटीआई से कहा कि, “जिसने भी यह किया हो, मैं इस विध्वंस का स्वागत करता हूं। एक स्कूल के भीतर ‘मजार’ क्यों होना चाहिए? वह भी दून स्कूल जैसे प्रतिष्ठित स्कूल की दीवारों के भीतर… यह राज्य में ‘भूमि जिहाद’ की सीमा को दर्शाता है।”
दिलचस्प बात यह है कि भारती और धोनी, जिनके खिलाफ कई मामले हैं, को नवंबर 2023 में देहरादून के परेड ग्राउंड में हिंदू धर्मगुरू बाबा बागेश्वर की यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री धामी के साथ मंच साझा करते देखा गया था।
दून स्कूल के पूर्व छात्रों में कई मशहूर हस्तियां और नेता शामिल हैं, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, उनके भाई संजय गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनके बेटे, पूर्व मंत्री करण सिंह, अमरिंदर सिंह, कमल नाथ, मणिशंकर अय्यर, आरपीएन सिंह और नवीन पटनायक के अलावा अमिताव घोष और विक्रम सेठ जैसे प्रसिद्ध लेखक शामिल हैं। मुख्यमंत्री धामी के बेटे सहित कई सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं के बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ रहे हैं।