महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास में यह कांग्रेस का सबसे ख़राब प्रदर्शन है, जबकि भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत के करीब पहुँच गयी है.

 

नई दिल्ली: महाराष्ट्र की 288 सीटों वाले विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन ने प्रचंड जीत हासिल की है. भाजपा 133 सीट के साथ अपने दम पर ही बहुमत के लिए आवश्यक 145 सीट के बहुत करीब है.

भाजपा के साथ उसके सहयोगी दलों को भी गजब की जीत मिली है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिव सेना को 57 सीटों पर जीत मिलने की संभावना है. इसने 81 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. वहीं, अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी कुल 41 सीटों पर जीत रही है. इसने 59 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे.

विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) एकदम धराशायी हो गया है. इस गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) तथा एनसीपी (शरद पवार) शामिल थे, जिनका नेतृत्व क्रमशः उद्धव ठाकरे और शरद पवार कर रहे हैं. कांग्रेस 15, उद्धव ठाकरे की शिव सेना 20 और शरद पवार की पार्टी सिर्फ़ 10 सीट तक सिमटती दिखाई दे रही है. एनसीपी ने कुल 86 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 37 सीटों पर भतीजे अजित पवार की एनसीपी से सीधा मुकाबला था.

महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास में यह कांग्रेस का सबसे ख़राब प्रदर्शन है.

यह पहला विधानसभा चुनाव है जब शिवसेना और एनसीपी ने दो धड़ों में बंटने के बाद अलग-अलग चुनाव लड़ा है.

भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान मराठवाड़ा क्षेत्र की आठ में से सात सीटें खो दी थीं. लेकिन, भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने विधानसभा चुनावों में मराठवाड़ा की 46 विधानसभा सीटों में से 37 पर बढ़त बनाकर शानदार वापसी की.

महाराष्ट्र में पिछला विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 में हुआ था. चुनावों में भाजपा 105 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी थी. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने क्रमश: 56, 54 और 44 सीटें जीती थीं. पिछली बार के विधानसभा चुनाव भाजपा और शिवसेना (अविभाजित) ने साथ मिलकर लड़ा था और दोनों को 161 सीटों पर जीत मिली थी, जिसमें शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत हासिल की थी.

हालांकि उस समय दोनों ही पार्टियों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर तनातनी चली और अंतत: यह गठबंधन टूट गया.

भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस ने 23 नवंबर 2019 को आनन-फानन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार ने उप-मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. लेकिन 26 नवंबर को ही फड़णवीस और अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया था और तीन दिन की ये सरकार गिर गई थी.

भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से शिवसेना बाहर हो गई थी. उसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ मिलकर महा विकास अघाड़ी नामक एक नया गठबंधन बनाया, जिसमें शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बने.

उसके बाद जून 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुए हाई-वोल्टेज विद्रोह में 40 विधायकों ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार का साथ छोड़ दिया था. इसके बाद महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई और उद्धव के इस्तीफे के बाद शिंदे ने भाजपा की मदद से सरकार बनाते हुए मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

 

Source: The Wire