
चुनाव आयोग ने राज्य निर्वाचन अधिकारियों को भेजे एक पत्र में मतदान प्रक्रिया के दौरान रिकॉर्ड किए गए सीसीटीवी, वेबकास्टिंग और अन्य वीडियो फुटेज को 45 दिनों के बाद नष्ट करने का निर्देश दिया है. आयोग का कहना है कि उसके इलेक्ट्रॉनिक डेटा का ‘दुरुपयोग कर गलत नैरेटिव’ फैलाए जा रहे हैं.
नई दिल्ली: भारत के चुनाव आयोग ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे मतदान प्रक्रिया के दौरान रिकॉर्ड किए गए सीसीटीवी, वेबकास्टिंग और अन्य वीडियो फुटेज को 45 दिनों के बाद नष्ट कर दें, यदि इस दौरान चुनाव परिणाम को अदालत में चुनौती नहीं दी जाती है.
आयोग का कहना है कि उसके इलेक्ट्रॉनिक डेटा का ‘दुरुपयोग कर गलत और भ्रामक नैरेटिव’ फैलाए जा रहे हैं, जिसके कारण यह फैसला लिया गया है.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, यह निर्देश आयोग ने 30 मई को राज्य निर्वाचन अधिकारियों को भेजे एक पत्र में दिया.
पत्र में आयोग ने कहा है कि मतदान प्रक्रिया के विभिन्न चरणों की रिकॉर्डिंग के लिए फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, सीसीटीवी और वेबकास्टिंग जैसे कई तरीकों का उपयोग करने का निर्देश आयोग द्वारा दिया गया है. लेकिन ऐसी रिकॉर्डिंग केवल 45 दिनों तक ही सुरक्षित रखी जाएगी. 45 दिन कि अवधि वह अवधि है जिसमें चुनाव याचिका (चुनाव परिणाम को चुनौती) दाखिल की जा सकती है.
पत्र में लिखा गया है, ‘हाल ही में इन रिकॉर्डिंग्स का ऐसे लोगों द्वारा गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया है जो चुनाव में प्रत्याशी नहीं थे. उन्होंने सोशल मीडिया पर इस सामग्री को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया, जिससे गलत जानकारी फैली. इस दुरुपयोग का कोई कानूनी नतीजा नहीं निकल सकता. इसीलिए इस नीति पर विचार किया गया है.’
आयोग ने आगे कहा, ‘यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित कोई चुनाव याचिका दाखिल नहीं की जाती है, तो उस क्षेत्र का रिकॉर्ड किया गया डेटा नष्ट कर दिया जाएगा.’
दिसंबर 2024 में केंद्र सरकार ने साल 1961 के चुनाव आचरण नियमों के नियम 93(2)(a) में बदलाव किया था. इस बदलाव के बाद अब सभी चुनाव से जुड़े दस्तावेज जनता को देखने के लिए उपलब्ध नहीं होंगे.
फरवरी में इस बदलाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. पारदर्शिता कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने याचिका दाखिल की, जिसमें कहा गया कि यह बदलाव मतदाताओं के सूचना के अधिकार पर अनुचित रोक लगाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है. यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
उल्लेखनीय है कि जनवरी 2024 में चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों के दौरान एक अधिकारी सीसीटीवी कैमरों में मतगणना में गड़बड़ी करते पकड़े गए थे. इसके बाद फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव परिणाम रद्द कर दिए और आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी कुलदीप कुमार को वैध रूप से निर्वाचित मेयर घोषित किया.
Source: The Wire