
इंडोनेशिया में भारत के एक सैन्य अधिकारी कैप्टन शिव कुमार (भारतीय नौसेना) ने पिछले महीने आयोजित एक सेमिनार में यह बात स्वीकार की कि हवाई संघर्ष के शुरुआती चरण में भारतीय वायुसेना को पाकिस्तानी सेना के हाथों नुकसान उठाना पड़ा था. हालांकि वे इस दावे से सहमत नहीं थे कि भारत ने इस संघर्ष के दौरान कई सारे विमान खो दिए.
नई दिल्ली: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय वायुसेना ने 7 मई, 2025 की रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में ‘आतंकवादी संरचनाओं’ के खिलाफ सैन्य हमलों में अपने लड़ाकू विमान खो दिए थे. और ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि राजनीतिक नेतृत्व यानी सरकार ने सेना पर पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान या एयर डिफेंस पर हमला न करने का दबाव बनाया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, इंडोनेशिया में भारत के रक्षा अताशे कैप्टन शिव कुमार (भारतीय नौसेना) ने इंडोनेशिया में आयोजित एक सेमिनार में यह बात स्वीकार की.
इंडोनेशिया के एक संस्थान द्वारा 10 जून को ‘पाकिस्तान-भारत हवाई युद्ध का विश्लेषण और वायु शक्ति के परिप्रेक्ष्य से इंडोनेशिया की पूर्वानुमान रणनीति’ विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया था.
इस सेमिनार में दिए गए 35 मिनट के प्रेजेंटेशन में कैप्टन शिव कुमार ने कहा कि भले ही वे इस दावे से सहमत न हों कि भारत ने इस संघर्ष के दौरान कई सारे विमान खो दिए, लेकिन वे इस बात को जरूर मानते हैं कि कुछ विमानों का नुकसान हुआ.
उनके अनुसार, हवाई संघर्ष के शुरुआती चरण में भारतीय वायुसेना को पाकिस्तानी सेना के हाथों नुकसान उठाना पड़ा.
मालूम हो कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने दावा किया था कि उन्होंने राफेल सहित छह भारतीय विमानों को मार गिराया था.
हालांकि, भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ विमानों के नुकसान की पुष्टि की गई, लेकिन संख्या बताने से इनकार कर दिया गया.
दूतावास का स्पष्टीकरण
कैप्टन शिव कुमार के बयान के बाद उठ रहे सवालों के बीच इंडोनेशिया के भारतीय दूतावास ने एक एक्स पोस्ट में लिखा है, ‘हमने एक सेमिनार में रक्षा अताशे द्वारा दिए गए प्रेजेंटेशन से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स देखी हैं. उनके बयान को संदर्भ से हटाकर पेश किया गया है और मीडिया रिपोर्ट्स में उनके प्रेजेंटेशन की मंशा और मुख्य बातों को गलत तरीके से बताया गया है. प्रेजेंटेशन में यह बताया गया था कि भारतीय सशस्त्र बल जनता द्वारा निर्वाचित सरकार के अधीन काम करते हैं, जो हमारे पड़ोसी कुछ देशों से अलग है. यह भी समझाया गया था कि ऑपरेशन ‘सिंदूर’ का उद्देश्य केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था और भारत की कार्रवाई उकसावे वाली नहीं थी.’
बता दें कि रक्षा अताशे कैप्टन शिव कुमार से पहले भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में ब्लूमबर्ग से बात करते हुए स्वीकारा था कि 7 मई को पाकिस्तान के साथ संघर्ष में भारतीय वायुसेना के कुछ लड़ाकू विमान नष्ट हुए थे.
इस संबंध में उन्होंने संख्या बताने से इनकार करते हुए कहा था कि भारत ने इन नुकसानों से सबक लेकर सुधार किए हैं.
इंडोनेशिया सेमिनार में भारतीय रक्षा अताशे ने कहा, ‘नुकसान के बाद हमने अपनी रणनीति बदली और सैन्य ठिकानों पर हमला किया. हमने सबसे पहले दुश्मन के एयर डिफेंस को कमजोर किया और फिर ब्रह्मोस मिसाइलों के इस्तेमाल से हमारे सभी हमले आसानी से हो पाए.’
कैप्टन शिव कुमार के शब्दों से ऐसा लग रहा था कि वह 10 मई, 2025 को भारत द्वारा विभिन्न पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर किए हमले का जिक्र कर रहे थे.
उल्लेखनीय है कि भारतीय रक्षा अताशे के शब्द उजागर करते हैं कि भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान मोदी सरकार के आदेशों के तहत काम कर रहे थे कि वे पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों या वायु रक्षा प्रणालियों को निशाना न बनाएं.
सरकार द्वारा लगाया गया ये प्रतिबंध इस संघर्ष को परमाणु टकराव की ओर बढ़ने से रोकने के लिए था. इसका आधार संभवत: ये था कि यदि भारत किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान पर हमला नहीं करता, तो पाकिस्तानी सेना भी भारतीय हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने वाले भारतीय लड़ाकू विमानों को निशाना नहीं बनाएगी.
सामरिक नुकसान को समझते हुए भारतीय सैन्य नेतृत्व ने तुरंत अपनी रणनीति में संशोधन किया, जिससे 10 मई को पाकिस्तानी लक्ष्यों को भेदने के लिए ब्रह्मोस और अन्य मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया था, जिन्हें लंबी दूरी से दागा जा सकता है.
Source: The Wire