कीटनाशकों के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण बीते अप्रैल माह में हांगकांग द्वारा एमडीएच और एवरेस्ट ब्रांड के कुछ मसालों की बिक्री को रोक दिए जाने के बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने विभिन्न मसालों के 4,054 नमूनों की जांच की थी, जिनमें 474 मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए.
नई दिल्ली: दो लोकप्रिय मसालों के ब्रांड में अशुद्धता पाए जाने पर कई देशों द्वारा कदम उठाए जाने के बाद, भारतीय अधिकारियों द्वारा किए गए परीक्षणों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया है कि परीक्षण किए गए मसालों के लगभग 12% नमूने गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को पूरा करने में विफल रहे.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, कीटनाशकों के उच्च स्तर पर इस्तेमाल के कारण अप्रैल में हांगकांग द्वारा एमडीएच और एवरेस्ट ब्रांड के कुछ मसालों की बिक्री को निलंबित करने के बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने मिश्रित मसालों की जांच की, नमूने लिए और उनकी परीक्षण किया था.
एमडीएच और एवरेस्ट ने कहा है कि उनके उत्पाद उपभोग के लिए सुरक्षित हैं, उनके मसाले भारत में सबसे लोकप्रिय हैं, भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसालों का निर्यातक, उत्पादक और उपभोक्ता है. उनके मसाले यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका में बेचे जाते हैं.
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत रॉयटर्स द्वारा प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि मई और जुलाई की शुरुआत के बीच परीक्षण किए गए 4,054 नमूनों में से 474 गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे.
एफएसएसएआई ने एक बयान में रॉयटर्स को बताया कि वह संबंधित कंपनियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई कर रही है.
भारतीय कानून के तहत दंड प्रावधानों का जिक्र करते हुए एजेंसी ने कहा, ‘मानकों के अनुरूप न पाए गए नमूनों पर कार्रवाई निर्धारित की गई है.’
रॉयटर्स ने उन सभी नमूनों पर रिपोर्ट मांगी जो परीक्षण में विफल रहे, लेकिन एजेंसी ने कहा कि ऐसी कोई रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है.
सिय्योन मार्केट रिसर्च के अनुसार, साल 2022 में भारत का घरेलू मसाला बाजार 10.44 बिलियन डॉलर का था. मार्च में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में मसालों और मसाला उत्पादों का निर्यात रिकॉर्ड 4.46 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया था.