देश के वंचितों के लिए कैसा रहा 2024?

देश के वंचितों के लिए यह वर्ष मिले-जुले असर वाला रहा. वंचितों के सामाजिक-सांस्‍कृतिक आंदोलनों का सिमटता दायरा चिंताजनक है, लोकतंत्र को समावेशी और मजबूत बनाने के लिए इनका विस्‍तार…

मुद्दा: जनता को अधिकारहीन करने का खेल

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक सरकारों द्वारा किए जा रहे नकदी हस्तांतरण और मनरेगा के बुनियादी फ़र्क़ को समझा रहे हैं कि किस तरह एक योजना कृपा का मामला है और…

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा का आंबेडकर जाप और राहुल का नया नामकरण

अपने साप्ताहिक कॉलम में वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन संसद में हुए आंबेडकर विवाद, राहुल पर बीजेपी के नए हमले समेत देश के अलग-अलग राज्यों की राजनीति पर बात कर रहे…

सुलगता मणिपुर, कराहता फ़िलिस्तीन और धर्मांध राजनीति: कहां हुआ न्याय इस बरस

यह साल चुनावों का साल रहा, लेकिन चुनावी रैलियों से मणिपुर की हिंसा गायब रही. बस्तर में मुठभेड़ होते रहे लेकिन दिल्ली बैठी आवाज़ें ख़ामोश रहीं. अन्य देशों में भी…

‘ईश्‍वर अल्‍लाह तेरो नाम’: ताकि बची रहे देश की समावेशी और साझा संस्‍कृति

पटना में इस भजन पर हंगामा करने जैसा कुछ नहीं था पर वास्‍तविकता यही है कि हंगामा हुआ। लोकगायिका को इस भजन के लिए माफ़ी मांगनी पड़ी। हाल ही में…

नहीं रहे आर्थिक सुधारों, आरटीआई के प्रणेता; पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन

मूल रूप से अर्थशास्त्री रहे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक ज़ाहिर करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि डॉ. सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने…

पुस्तक अंश: चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा

चार्ली चैप्लिन दुनिया के महानतम फिल्मकारों में शुमार हैं. उन्होंने अभिनय और निर्देशन, दोनों ही विधाओं में कीर्तिमान स्थापित किए. उनकी फिल्मों को आज भी याद किया जाता है.  …