
खानापुर तालुक के बीड़ी गाँव में वृद्ध दंपति ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के डर से आत्महत्या की
बीड़ी गाँव (खानापुर तालुक) में एक दुखद घटना सामने आई है, जहाँ एक वृद्ध दंपति ने साइबर ठगों के डर से गुरुवार शाम को आत्महत्या कर ली। जिले में यह पहला मामला है, जहाँ साइबर धोखाधड़ी के कारण पीड़ितों ने जान दे दी।
मृतकों की पहचान ईसाई गली, बीड़ी के 82 वर्षीय डिएगो सन्तान नाज़रेथ और उनकी 79 वर्षीय पत्नी फ्लेविया के रूप में हुई है। डिएगो का शव एक भूमिगत पानी की टंकी में खून से लथपथ मिला, जबकि फ्लेविया का शव घर के अंदर बेहोश अवस्था में मिला। पड़ोसियों ने जब फ्लेविया को जवाब नहीं देते देखा, तो पुलिस को सूचना दी।
पुलिस ने **दो पन्नों की अंग्रेजी में लिखित सुसाइड नोट, एक हँसिया और डिएगो का मोबाइल फोन** बरामद किया। नोट में डिएगो ने लिखा कि वे और उनकी पत्नी ने स्वेच्छा से जीवन समाप्त करने का निर्णय लिया है और किसी को दोष नहीं देना चाहिए। बच्चों से वंचित इस दंपति को कथित तौर पर साइबर ठगों के धमकी भरे फोन आ रहे थे, जो खुद को अधिकारी बता रहे थे।
सुसाइड नोट में क्या लिखा था?
– नोट के अनुसार, दिल्ली से एक व्यक्ति सुमित बिरड़ा ने डिएगो को फोन कर BSBL (संभवतः एक फर्जी संस्था) का प्रतिनिधि बताते हुए आरोप लगाया कि उनके फोन नंबर से अवैध विज्ञापन भेजे जा रहे हैं।
– इसके बाद अनिल यादव नाम के शख्स ने उन्हें गंभीर परिणामों की धमकी दी।
– डर और चिंता से घिरकर दंपति ने फैसला किया कि वे “किसी के रहम पर नहीं जी सकते”।
– डिएगो ने नोट में दोस्तों से लिए गए कर्ज़ चुकाने और पत्नी के गहने बेचकर उन्हें लौटाने का भी अनुरोध किया।
– उन्होंने अपने शव को मेडिकल शिक्षा के लिए दान करने की इच्छा भी जताई।
नंदगढ़ पुलिस ने मोबाइल फोन, हँसिया और सुसाइड नोट को सबूत के तौर पर जब्त कर लिया है।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम से कैसे बचें?
साइबर ठग डर और भ्रम का फायदा उठाकर पीड़ितों को गलत कदम उठाने के लिए मजबूर करते हैं। सावधान रहने के लिए ये उपाय अपनाएँ:
1. कानून जानें: भारतीय कानून एजेंसियाँ फोन पर डिजिटल अरेस्ट की धमकी नहीं देतीं। ऐसा कोई भी कॉल स्कैम है।
2. कॉलर को वेरिफाई करें: अगर कोई सरकारी विभाग, बैंक या कंपनी का होने का दावा करे, तो आधिकारिक चैनल से पुष्टि करें।
3. पर्सनल डिटेल्स न दें: बैंक डिटेल्स, OTP या निजी जानकारी फोन पर कभी न बताएँ।
4. घबराएँ नहीं: ठग जल्दबाजी दिखाकर दबाव बनाते हैं। कोई भी कदम उठाने से पहले विश्वसनीय व्यक्ति से सलाह लें।
5. शिकायत दर्ज करें: धमकी भरे कॉल की शिकायत साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) या [cybercrime.gov.in](https://cybercrime.gov.in) पर करें।
6. कॉल ब्लॉकिंग का उपयोग करें: कॉलर आईडी और स्पैम डिटेक्शन ऐप्स से संदिग्ध नंबर ब्लॉक करें।
7. बुजुर्गों को जागरूक करें: ठग अक्सर बुजुर्गों को निशाना बनाते हैं। उन्हें साइबर धोखाधड़ी के बारे में समझाएँ।
साइबर अपराध बढ़ने के साथ, जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है। अगर आप या कोई परिचित साइबर ठगों के शिकार हैं, तो तुरंत मदद लें और डर के आगे न झुकें।