
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा जारी थ्रेट एसेस्मेंट रिपोर्ट में चीन के साथ ही भारत को भी ऐसा ‘स्टेट एक्टर’ बताया गया है, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अंतरराष्ट्रीय समूहों को ड्रग तस्करी में सक्षम बना रहे हैं.
नई दिल्ली: अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा मंगलवार (25 मार्च) को जारी एक वार्षिक खतरा आकलन रिपोर्ट (annual threat assessment report) में चीन के साथ ही भारत को भी एक ‘स्टेट एक्टर’ के रूप में बताया गया है, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अंतरराष्ट्रीय समूहों को ड्रग तस्करी में सक्षम बना रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय द्वारा प्रकाशित 2025 की ये रिपोर्ट डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे राष्ट्रपति कार्यकाल की शुरुआत के दो महीने बाद आई है.
इस रिपोर्ट को तुलसी गबार्ड के नेतृत्व में भी जारी किया गया है, जो पिछले सप्ताह ही ट्रंप प्रशासन के किसी भी अधिकारी की पहली आधिकारिक यात्रा के रूप में भारत आई थीं.
रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा गया है: ‘चीन और भारत जैसी सरकारों (state actors) द्वारा गैर-सरकारी समूहों (non state actors) को अक्सर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से, ड्रग तस्करों को आगे बढ़ाने वाले और उपकरणों आदि का स्रोत बनने में मदद की जाती है.’
यह पहली बार है जब भारत को ओपिओइड फेंटेनाइल के निर्माण के लिए ड्रग कार्टेल द्वारा उपयोग किए जाने वाले रसायनों की आपूर्ति में चीन के समान स्तर पर रखा गया है.
ज्ञात हो कि पिछले साल की थ्रेट एसेस्मेंट रिपोर्ट में भारत को उन कई देशों में से एक बताया गया था, जिनसे मेक्सिकन समूह ‘कुछ हद तक’ स्रोत प्राप्त कर रहे थे, जबकि चीन को प्राथमिक आपूर्तिकर्ता बताया गया था.
यह रिपोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें चीन और भारत को एक साथ समूहीकृत करने के साथ ही उन्हें ‘स्टेट एक्टर’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है. ये एक ऐसा शब्द है जो सरकार की मिलीभगत को दर्शाता है, चाहे वह जानबूझकर हो या अनजाने में.
यह संदर्भ उल्लेखनीय है, क्योंकि ट्रंप ने ओपिओइड से निपटने को अपनी राजनीतिक प्राथमिकता बना लिया है, जो उनकी विदेश नीति के निर्णयों को आकार दे रहा है. बीते 1 फरवरी को उन्होंने फेंटेनाइल तस्करी के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए चीन पर अतिरिक्त 10% टैरिफ लगाया और कनाडा और मेक्सिको पर कथित रूप से पर्याप्त सीमा प्रवर्तन की कमी के लिए 25% टैरिफ लगाया.
भारत पहले से ही अमेरिका के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते में तेजी लाने के लिए बातचीत कर रहा है, जो उसे ट्रंप द्वारा घोषित कुछ पारस्परिक (reciprocal) आयात शुल्कों से बचने में मदद कर सकता है, जो 2 अप्रैल से प्रभावी होने वाले हैं.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, ‘चीन अवैध फेंटेनाइल प्रीकर्सर रसायनों और ड्रग बनाने वाले उपकरणों का प्राथमिक स्रोत देश बना हुआ है, जिसके बाद भारत का स्थान आता है. मेक्सिको स्थित रासायनिक दलाल गलत लेबल वाले शिपमेंट और अनियमित दोहरे उपयोग वाले रसायनों की खरीद के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय नियंत्रणों को दरकिनार करते हैं.’
रिपोर्ट के अनुसार, फेंटेनाइल और अन्य सिंथेटिक ओपिओइड ‘संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में तस्करी की जाने वाली सबसे घातक ड्रग्स बनी हुई हैं, जिसके कारण अक्टूबर 2024 तक 12 महीने की अवधि में 52,000 से अधिक अमेरिकी लोगों की मौत हुई है.’
डीईए के 2024 ड्रग थ्रेट असेसमेंट ने पहले उल्लेख किया था कि भारत सिंथेटिक दवाओं में इस्तेमाल होने वाले प्रीकर्सर रसायनों के लिए ‘एक प्रमुख स्रोत देश के रूप में उभर रहा है.’
इस साल जनवरी में एक अमेरिकी अभियोग में दो भारतीय रासायनिक कंपनियों पर अमेरिका और मेक्सिको में फेंटेनाइल के निर्माण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों की आपूर्ति करने का आरोप लगाया. इसके तीन महीने बाद ही एक अन्य भारतीय फर्म के शीर्ष अधिकारियों को अमेरिका में फेंटेनाइल प्रीकर्सर एजेंट बेचने के प्रयास के लिए गिरफ्तार किया गया.
Source: The Wire