किरु हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट मामले में सीबीआई ने तीन साल की जांच के बाद अपने निष्कर्ष विशेष अदालत को सौंपे हैं. मामले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पांच अन्य के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल हुई है. इस बीच मलिक ने बताया है कि वे गंभीर रूप से बीमार हैं.

 

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार (22 मई) को किरु हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट मामले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पांच अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सीबीआई ने इस मामले में तीन साल की जांच के बाद अपने निष्कर्ष एक विशेष अदालत को सौंपे हैं. यह आरोपपत्र इस साल 22 फरवरी को मलिक के घर और अन्य संपत्तियों पर सीबीआई की छापेमारी के बाद दाखिल किया गया है.

इस संबंध में सत्यपाल मलिक के अलावा चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (सीवीपीपीपीएल) के तत्कालीन अध्यक्ष नवीन कुमार चौधरी अधिकारी एमएस बाबू, एमके मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा सहित निर्माण फर्म पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड का भी नाम लिया गया है.

मालूम हो कि यह मामला 2019 में जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में जलविद्युत परियोजना के सिविल कार्यों के लिए एक निजी कंपनी को 2,200 करोड़ रुपये का ठेका देने में कथित गड़बड़ी से जुड़ा है.

2022 में किरु हाइड्रो प्रोजेक्ट केस में सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है कि इस मामले में जम्मू-कश्मीर एसीबी और बिजली विभाग द्वारा जांच की गई थी.

इसमें आगे कहा गया है, ‘इन रिपोर्ट्स के अवलोकन से पता चलता है कि किरु हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट के सिविल कार्य पैकेज के ई-टेंडरिंग के संबंध में दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया था और चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स की 47वीं बोर्ड बैठक में रिवर्स नीलामी के साथ ई-टेंडरिंग के माध्यम से पुन: निविदा जारी करने का एक एक निर्णय लिया गया था, हालांकि चल रही निविदा प्रक्रिया को रद्द करने के बाद भी इसे लागू नहीं किया गया और निविदा अंतत: मेसर्स पटेल इंजीनियरिंग को दे दी गई.’

यह भी कहा गया है कि 4,287 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली परियोजना घटिया काम के आरोपों और स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान करने में विफलता के कारण बर्बाद हो गई.

मामले की एसीबी जांच में पाया गया कि परियोजना का टेंडर चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स की 47वीं बोर्ड बैठक में रद्द कर दिया गया था, लेकिन 48वीं बोर्ड बैठक में इसे दोबारा लाकर पटेल इंजीनियरिंग को दे दिया गया.

विडंबना यह है कि 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने खुद अक्टूबर 2021 में दावा किया था कि उन्हें परियोजना से संबंधित दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. इनमें से एक फाइल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंधित थी.

पिछले साल सीबीआई की तलाशी के बाद उन्होंने अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार किया था.

अस्पताल में मलिक

उल्लेखनीय है कि इस बीच मलिक ने बताया है कि वे गंभीर रूप से बीमार हैं और बुधवार (21 मई) से उनका किडनी डायलिसिस शुरू हुआ है.

उनके निजी प्रबंधक केएस राणा ने द वायर को बताया, ‘सत्यपाल मलिक को 11 मई को डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वे पेशाब और गैस पास करने में असमर्थ हैं और 14 मई को किए गए कल्चर टेस्ट में गंभीर यूरिन इंफैक्शन और किडनी की खराबी की पुष्टि हुई है. कल से स्थिति और खराब हो गई है और उनकी किडनी बिल्कुल भी काम नहीं कर रही है. वे फिलहाल आईसीयू में भर्ती हैं और बेहोशी की हालत में अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.’

इससे पहले फरवरी में हुई छापेमारी के बाद मलिक ने कहा था कि वे किसान के बेटे हैं और छापेमारी से डरेंगे नहीं.

उन्होंने हिंदी में ट्वीट भी किया था, ‘मैंने भ्रष्टाचार के आरोपी लोगों के खिलाफ शिकायत की थी. लेकिन सीबीआई ने उनकी तलाशी लेने की बजाय मेरे घर पर छापा मारा. मेरे घर से आपको मेरे 4-5 कुर्ते-पजामे के अलावा कुछ नहीं मिलेगा. तानाशाह सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करके मुझे डराने की कोशिश कर रहा है. मैं किसान का बेटा हूं, मैं डरूंगा नहीं और झुकूंगा नहीं.’

सीबीआई ने इस मामले के सिलसिले में जनवरी में पांच अन्य व्यक्तियों के परिसरों की भी तलाशी ली थी. आरोप है कि मलिक को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है.

Source: The Wire