सरकार का कहना है कि वक़्फ़ संशोधन बिल मुसलमानों के हित में है। ये क्या है भाई! पिछले 11 साल से सारा ख़्याल मुसलमानों का ही रखा जा रहा है। फिर हिंदुओं का ख़्याल कौन रखेगा।

हम तो समझे थे कि भाजपा हिंदूवादी पार्टी है, लेकिन इसकी सरकार तो सारे काम मुसलमानों की भलाई के कर रही है! यह तो हमारे साथ धोखा हो गया! हमने तो भाजपा को इसलिए वोट दिया था कि अगर खाते में 15 लाख आएंगे तो सबसे ज़्यादा हिंदुओं को ही मिलेंगे क्योंकि इस देश में 80 फ़ीसदी हिंदू ही हैं। हम तो समझे थे कि अगर हर साल 2 करोड़ नौकरियां आएंगी तो सबसे ज़्यादा हिंदुओं के हिस्से में ही आएंगी क्योंकि सबसे ज़्यादा तो हिंदू ही हैं।

लेकिन यह तो एक के बाद एक धड़ाधड़ मुसलमानों की भलाई के काम किए जा रहे हैं। पहले जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया, फिर मुस्लिम महिलाओं के हक़ में तीन तलाक़ पर बैन लगाया, फिर सीएए लाए, एनआरसी भी कुछ राज्यों में एप्लाई किया गया और अब वक़्फ़ संशोधन बिल।

ये क्या है भाई! पिछले 11 साल से सारा ख़्याल मुसलमानों का ही रखा जा रहा है। अब तो हर त्योहार पर उनकी घर की फ्रिज तक में झांककर देखा जाता है कि वे पौष्टिक आहार तो खा रहे हैं। कोई कमी तो नहीं। रास्ते में, सफ़र में भी उनकी थैली खोलकर देखा जाता है कि वे कुछ ऐसा-वैसा न खा लें जिससे उनकी तबीयत ख़राब हो जाए। होली पर आदेश दिया जाता है कि आप घर में ही रहें, हम नहीं चाहते कि आपको कोई भी परेशानी हो। ईद पर कहा जाता है कि आप सड़क पर न निकलें। नमाज़ न पढ़ें। ख़्वाह-मख़्वाह आपको परेशानी होगी। मस्जिद में जगह न हो तो नमाज़ तो घर में पढ़ी जा सकती है। इसके लिए इतना कष्ट क्यों उठाना।

और मुसलमानों को दिखाने के लिए हर हिंदू त्योहार पर शोभायात्राएं और जुलूस भी मस्जिदों के सामने से निकाले जाते हैं। वहां रुककर भक्त भाई डांस करते हैं ताकि मनोरंजन में कोई कमी न रह जाए।

इतना ख़्याल। हर मौक़े पर ख़्याल। सरकार का तो यही कहना है कि वह तो अल्पसंख्यकों ख़ासकर मुसलमानों का विशेष ख़्याल रख रही है।

आपको मेरी बात पर यक़ीन न हो तो अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजु को सुन लीजिए, गृहमंत्री अमित शाह को सुन लीजिए। वे कहते हैं कि वक़्फ़ संशोधन बिल से करोड़ों-करोड़ ग़रीब मुसलमानों का फ़ायदा होगा। उन्होंने यह बात संसद में कही। पूरे ज़ोर से चिल्लाकर कही। अब जब भाजपा और मोदी सरकार ऐसा करेगी तो हिंदुओं का ख़्याल कौन रखेगा?

यह तो हिंदुओं के साथ बहुत नाइंसाफ़ी है साहिब। और यही नहीं ईद पर सौग़ात-ए-मोदी भी दे दी। लेकिन होली में…होली में हिन्दुओं को क्या मिला? एक गैस सिलेंडर देने का वादा किया गया था, वो भी किसे मिला इसकी कोई ख़बर नहीं है।

मोदी जी, रिजिजू जी, अगर वक़्फ़ संशोधन बिल ला रहे थे तो ऐसे ही मठ-मंदिरों के लिए भी कोई बिल ले आते। सुना है मठ-मंदिरों के पास भी अकूत संपत्ति है। और यह संपत्ति भी भक्तों द्वारा दिए गए दान यानी वक़्फ़ से ही है। इनमें नगदी, जेवर, ज़मीन और अन्य क़ीमती वस्तुएं शामिल हैं। इनका भी ठीक से प्रबंधन और बंटवारा हो जाता तो देश के करोड़ों-करोड़ ग़रीब हिंदुओं का भला हो जाता। देश से ग़रीबी एक झटके में ख़त्म हो जाती। फिर आपको 80 फ़ीसदी लोगों को 5 किलो मुफ़्त अनाज भी न बांटना पड़ता।

जैसे वक़्फ़ बोर्ड में गैर मुस्लिमों को जगह दी गई है अगर इन मंदिरों के बोर्ड में भी ऐसे ही गैर हिन्दुओं को जगह दे दी जाती तो फिर क्या कहना था।

तिरुमला के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को लेकर बेवजह विवाद हुआ। जबकि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ट्रस्ट बोर्ड आंध्र प्रदेश सरकार के नियंत्रण में कार्य करता है। लेकिन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने ही हाल ही में घोषणा की कि मंदिर में केवल हिंदू कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी। TTD के ट्रस्ट बोर्ड ने हाल ही में 18 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है जो हिंदू परंपराओं का पालन नहीं कर रहे थे।

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल के अधीन कार्य करता है, जो पदेन अध्यक्ष होते हैं। इसमें सभी सदस्य हिंदू होते हैं। बोर्ड के गठन के समय यह प्रावधान है कि यदि उपराज्यपाल गैर-हिंदू हों, तो वे एक हिंदू प्रतिनिधि को अध्यक्ष के रूप में नामित करेंगे।

अगर इन सब को भी वक़्फ़ बोर्ड की तरह सुधार दिया जाए तो मोदी जी आपकी जय-जयकार हो जाएगी।

तो मोदी जी, जैसे आपने मुसलमानों की भलाई के लिए न मुसलमानों की सुनी, न विपक्ष के नेताओं की। न कोर्ट की सुनी, न संविधान की। ऐसे ही अब हिंदुओं की भलाई के लिए भी ऐसे ही नियम-क़ानून लाइए। हां बस यह ख़्याल रखिए कि कोई भी नीति-नियम-क़ानून ठीक से ड्राफ्ट कराइए, क्योंकि यह बड़ी अजीब बात है कि आप जिसके भी हित में कोई क़ानून लाते हैं, वह उसी को समझ नहीं आता।

आप किसानों के हित में तीन कृषि क़ानून लाए, वो किसानों को ही नहीं समझ आए और वे दिल्ली के बॉर्डर पर 13 महीने तक धरना देकर बैठ गए। आपने कहा कि आपकी तपस्या में कुछ कमी रह गई, और आपने तीनों क़ानून वापस ले लिए। लेकिन मैं कहता हूं कि आपकी तपस्या में नहीं आपकी ड्राफ्टिंग और प्रोपेगैंडा में कुछ कमी रह गई थी। क्योंकि इसके बाद भी किसान आंदोलन रुका नहीं है। अभी किसान फिर 13 महीने तक हरियाणा-पंजाब का शंभु बॉर्डर घेरकर बैठे रहे और किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर बैठ गए।

आपने सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) लागू किया तो मुसलमानों को ही समझ नहीं आया और उन्होंने दिल्ली समेत पूरे देश में शाहीन बाग़ खड़े कर दिए।

आप नई शिक्षा नीति (NEP) लाए तो यह छात्रों को ही समझ नहीं आई और वे इसके ख़िलाफ़ लगातार आंदोलन कर रहे हैं।

और अब आप वक़्फ़ संशोधन क़ानून लाए हैं, जिसे आपने अपने ‘अच्छे दिन’ के जुमले की तरह बेहतरीन नाम ‘उम्मीद’ (Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency, and Development Act) दिया है। लेकिन मुसलमान समझ ही नहीं पा रहे हैं और सड़कों पर उतर रहे हैं। और हर बार की तरह बड़ी संख्या में सिरफिरे हिंदू भी उनके साथ हैं। इसलिए मैं कहता हूं कि आपकी तपस्या नहीं आपकी ड्राफ्टिंग कमेटी और प्रोपेगैंडा मशीन में कुछ गड़बड़ है। शायद आपका आईटी सेल ठीक से काम नहीं कर रहा है। या फिर इस मुल्क के लोग ज़्यादा समझदार हो गए हैं जो हर चीज़ में ‘छिपा हुआ एजेंडा’ सूंघ लेते हैं।

अब कह रहे हैं कि दरअसल यह सारी कवायद मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की है और जल्द से जल्द आरएसएस के इस सौवें साल में देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की है। हालांकि मुझे इस पर कतई यक़ीन नहीं है क्योंकि आप तो अपने पहले कार्यकाल से लेकर तीसरे कार्यकाल तक लगातार मुसलमानों की भलाई के कार्यक्रम लेकर आ रहे हैं। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए भी आपने कई काम किए। 2002 में तो आपने इतिहास ही रच दिया।

तो मोदी जी, अब कुछ दिन मुसलमानों की भलाई भूलकर हिंदुओं के लिए भी कुछ कीजिए तो हम मानें कि आप वाकई हिंदू हृदय सम्राट हैं।

Source: News Click