
यह सरकार जनता की सहूलियत का बहुत ध्यान रखती है। सरकार का जनता की सहूलियत के प्रति इतना आग्रह है कि देख कर मन चकित हो गया। आप भी आश्चर्यचकित रह जायेंगे जब आपको इसके बारे में पता चलेगा। सरकार जी ने जनता की सहूलियत का ध्यान रखते हुए सड़क पर लगने वाले जाम को खत्म किया है।
जी हाँ, सरकार जी की सरकार ने, सरकार जी की डबल इंजिन की सरकारों ने फरमान निकाला कि इस ईद पर कोई मुसलमान सड़क पर नमाज़ नहीं पढ़ेगा। शाही फरमान था, राजाज्ञा थी इसलिए पालन तो होना ही था और पालन हुआ भी। ईद पर नमाज़ की वजह से कहीं भी सड़क बंद नहीं हुई। कहीं भी ट्रैफ़िक जाम नहीं लगा।
ऐसा नहीं है कि ईद के दिन कहीं भी ट्रैफिक जाम नहीं लगा। लगा, जरूर लगा, पर नमाज़ के कारण नहीं लगा। आवारा घूमते हुए गौवंश के कारण लगा। टूटी फूटी सड़कों के कारण लगा। कहीं हो रहे भंडारे के कारण लगा। नवरात्र शुरू हो गया था तो कहीं मंदिरों के आगे भक्तों की भीड़ के कारण लगा। पर सरकार जी ने एनश्योर किया कि नमाज़ के कारण कहीं भी ट्रैफिक जाम न लगे।
सरकार जी की जो इच्छाएं होती हैं, जो उनके दिल में होता है, जो उनका उद्देश्य होता है वह डबल इंजिन की सरकार पूरा जरूर करती है। डबल इंजिन की सरकार वह सरकार होती है जहाँ छोटे सरकार जी भी बड़े सरकार जी की पार्टी के होते हैं। पहले मैं लिखना चाहता था, जहाँ छोटे सरकार जी भी बड़े सरकार जी की पसंद के ही होते हैं पर मैं लिखते लिखते रुक गया। वजह आप सब जानते ही हैं।
हाँ, तो मैं कह रहा था कि सरकार जी जनता की सहूलियत का ध्यान रखते हैं। इसके लिए सरकार जी ने सड़क पर नमाज़ पढ़ने पर रोक लगा दी। सरकार जी बहुत खोज पसंद हैं। नित नई खोज करते हैं। उनके द्वारा की गई बहुत सारी खोजें तो आप सबको पता ही हैं। जैसे ए प्लस बी होल स्क्वायर में 2 एबी एक्स्ट्रा मिलता है, जैसे रेडार बादलों के पार नहीं देख सकता है, जैसे गंदे नाले की गैस से चाय बनाई जा सकती है। इस अंत वाली खोज से समझ में आया कि क्यों सरकार जी हज़ारों करोड़ खर्च कर भी गंगा मैया को साफ नहीं कर रहे हैं। उन्हें पता है कि गन्दी गंगा मैया ही रसोई गैस की किल्लत को खत्म कर सकती है।
हाँ तो इन अन्वेषक सरकार जी ने एक और नई खोज की है। नमाज़ अगर घर की छत पर भी पढ़ी जाये तो ट्रैफिक जाम पैदा करती है। इसलिए सरकार जी ने घरों की छतों पर भी नमाज़ पढ़ने पर रोक लगा दी। अभी एक्सपेरिमेंट के लिए कुछ ही शहरों में लगाई है। कुछ समय बाद पूरे देश में छत पर नमाज़ पढ़ने पर रोक लगाई जा सकती है। सम्भव है, थोड़े समय बाद सरकार जी कहीं भी नमाज़ पढ़ने पर ही बैन लगा दें। घर के अंदर भी।
दरअसल सरकार जी मुस्लिम समाज की उन्नति चाहते हैं। चाहते हैं कि मुसलमान धर्म के चोले से बाहर निकलें और आधुनिक बनें। पर हिन्दू धर्म में ही घुसे रहें। इसीलिए सरकार जी मुसलमानों के लिए कानून बनाते हैं और हिन्दुओं के लिए मंदिर। सरकार जी सचमुच में ही मुसलमानों की उन्नति के लिए बहुत काम कर रहे हैं।
पहले मुसलमानों के लिए तीन तलाक़ वाला ‘प्रोग्रेसिव’ कानून बनाया। हिन्दुओं के लिए ऐसा कोई कानून बनाया क्या? हिन्दू शादी के बाद बिना तलाक़ दिए ही छोड़ दे और बैठ जाये, कोई सज़ा है क्या? और दशकों अपने को अविवाहित बताता रहे। वो क्या कहते हैं, ‘मोस्ट वांटेड बचूलर’ बताता रहे। कोई जेल नहीं। फौजदारी तो छोड़ो, सिविल मुकदमा भी नहीं। देखा ना, सरकार जी ने हिन्दुओं को पिछड़ा ही रहने दिया है।
अब वक्फ बोर्ड में संशोधन किया है। संशोधन में और जो भी कुछ किया हो, एक बात तो बहुत काम की की है। वक्फ बोर्ड के सदस्यों में दो महिला होंगी और दो हिन्दू। कितना आधुनिक और धर्म निरपेक्ष संशोधन किया है। लेकिन हिन्दुओं के किसी मंदिर के बोर्ड में ऐसा कोई संशोधन किया क्या? क्या उसको आधुनिक और धर्म निरपेक्ष बनाया? नहीं ना! क्या हिन्दू मंदिरों के बोर्ड में महिला और अल्पसंख्यकों को शामिल करने का कोई कानून बनाया? नहीं ना! सरकार जी हिन्दू मंदिरों के बोर्डो को पिछड़ा ही रहने देंगें।
इसलिए मैं कहता हूँ, हिन्दुओं संभल जाओ। सरकार जी बस मुसलमानो की उन्नति चाहते हैं। उनका ही सुधार चाहते हैं। हो सकता है कुछ समय बाद मुसलमानों को सुधारने के लिए पूरे देश में ‘कॉमन सिविल कोड’ भी ले आएं। उत्तराखंड में तो एक्सपेरिमेंट शुरू भी हो गया है। पर हिन्दुओं, तुम्हें बस वैसा ही, पिछड़ा ही रहने देंगें। तुम्हारे लिए सिर्फ मंदिर ही बनवाएंगे।
Source: News Click