द ऑब्जर्वर पोस्ट के अनुसार, एक पुलिसकर्मी द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर रविवार को एनआरआई पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई। अधिकारियों के अनुसार, यह घटना 11 सितंबर को तब हुई जब राणे नवी मुंबई के उल्वे में सात दिवसीय गणपति समारोह के मुख्य अतिथि थे। इस कार्यक्रम का आयोजन संकल्प घरात द्वारा किया गया था और कथित तौर पर इसकी आवश्यक अनुमति नहीं ली गई थी।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि राणे के भाषण में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया गया और भीड़ को उकसाया गया। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें धारा 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से जानबूझकर बोलना), 353 (आपराधिक धमकी) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) शामिल हैं।
यह पहली बार नहीं है जब राणे पर अभद्र भाषा के आरोप लगे हैं। अधिकारी अब मामले की आगे की जांच कर रहे हैं।
बता दें कि इससे पहले नितेश ने महाराष्ट्र के अहमदनगर में भी भड़काऊ बयान दिया था। आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा था, “अगर हमारे रामगिरी महाराज के खिलाफ किसी ने कुछ कहा, तो मस्जिदों में जाकर चुन-चुन कर मारेंगे।” महंत रामगिरी महाराज पर 14 अगस्त को नासिक जिले में एक धार्मिक कार्यक्रम में इस्लाम और पैगंबर मुहम्मद के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप था। इसके बाद प्रदेश के विभिन्न इलाकों में उनके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हुए थे।
इसके बाद, अहमदनगर में सकल हिंदू समाज की ओर से रामगिरी महाराज के समर्थन में बीजेपी नेता नितेश राणे के नेतृत्व में एक मोर्चा निकाला गया। इस मोर्चे के दौरान नितेश राणे ने मुस्लिम समाज को खुली धमकी दी। बीजेपी विधायक नितेश राणे के खिलाफ अहमदनगर जिले के तोफखाना पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है।
इसी साल अप्रैल में मुंबई के उत्तरी उपनगर मीरा रोड में जनवरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद अल्पसंख्यक समुदाय को कथित तौर पर धमकाने के लिए राणे के खिलाफ नफरत भरे भाषणों के चार मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि, बाद में पुलिस ने नितेश राणे के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में मामला दर्ज न करने का निर्णय लिया, यह तर्क देते हुए कि बीजेपी विधायक ने अपने भाषणों में ‘रोहिंग्या और बांग्लादेशी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जो भारतीय नागरिकों के लिए नहीं थे।